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शादी के बाद किसी अन्य से शारीरिक संबंध अपराध नहीं, सभी लडकियों को पता होनी चाहिए ये बातें


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की चाहे वह आपकी पत्नी ही क्यों न हो से शारीरिक संबंध बनाना गैरकानूनी है. कोर्ट के इस फैसले से महिला एक्टिविस्ट्स काफी खुश हैं.

इसी कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे रिलेशनशिप के कानून कानून के बारे में बताने जा रहे है जिनके बारे में महिलाओं को जानना बेहद जरुरी है.

शादी के बाद शारीरिक संबंध अपराध नहीं

 शादी के बाद किसी अन्य से फिजिकल रिलेशन बनाना अपराध नहीं है लेकिन शर्त यह है की दोनों एडल्ट होना आवश्यक है. आपकी जानकारी के लिए बता दे की एडल्ट का मतलब आईपीसी के सेक्शन 497 में विस्तार से दिया गया है. इस नियम अनुसार लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए साथ ही संबंध लड़की की इच्छा के विरुद्ध होना नहीं चाहिए.

पेड सेक्स गैरकानूनी

Immoral Traffic एक्ट के अंतर्गत प्रॉस्टीट्यूट प्राइवेटली काम आसानी से कर सकती है हालांकि कस्टमर को डील वह नहीं कर सकती है. भारतीय कानून के अनुसार यदि कोई महिला पैसे के लिए किसी से संबंध बनाती है तो यह गैरकानूनी है.

सेक्शुअली रिमार्क का प्रयोग

आईपीसी के सेक्शन 509 के अंतर्गत सोशल मीडिया पर किसी महिला के साथ सेक्शुअली रिमार्क का प्रयोग अपराध की श्रेणी में आता है.

सेक्स वर्कर के साथ सेक्स करना

सेक्स वर्कर के साथ पब्लिक प्लेस के 182 मीटर के अंदर यदि आप सेक्स करते है तो यह क्राइम है. इस स्थिति में यदि सेक्स वर्कर की उम्र 18 वर्ष से कम है तो आपको सजा भी हो सकती है.

पोर्न फिल्म दिखाना क्राइम

यदि आप किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध पोर्न फिल्म दिखाकर अनवाॅन्टेड फिजिकल काॅन्टैक्ट बनाते है तो यह क्राइम है.

बाल विवाह

द प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की की शादी और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी करना बाल विवाह कहलाती है. जो एक अपराध है.

आपत्तिजनक पोस्ट

कोई भी व्यक्ति यदि महिला का आपत्तिजनक मटेरियल पोस्ट करता है तो वह आईटी एक्ट के सेक्शन 67 के अनुसार अपराध है.

क्रुअल विहैबियर

फैमिली का कोई भी मेंबर क्रुअलिटी होने पर शिकायत कर सकता है. इस स्थिति में वह महिला हो या पुरुष इसमें महिला और पुरुष आईपीसी के सेक्शन 498 ए के अनुसार वह अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है.

फाल्स कम्पलेंट

यदि महिला के द्वारा लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं तो Sexual Harassment of Women at Workplace Act, 2013 के अनुसार ये गलत कम्पलेंट मानी जाती है.

महिला को अभद्र दिखाना

किसी भी महिला को गलत तरीके से अभद्र दिखाना या उसे बदनाम करना The Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986 के अनुसार गैरकानूनी होता है.

सेक्शुअल हैरेसमेंट

यदि कोई सेक्शुअल हैरेसमेंट का शिकार हुआ है तो उसके लिए एफआईआर लिखना जरूरी है. बिना शिकायत के कोर्ट में कोई भी केस दर्ज नहीं हो सकता.