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हिंदी फिल्मों का पहला सुपरस्टार, एक ऐसी एक्ट्रेस जो इनके प्यार में जिंदगीभर रही कुंवारी


देवानंद हिंदी फिल्‍मों के वे पहले सुपरस्टार थे जिन्होंने दर्शकों को मोहब्बत की संजीदगी और रूमानियत सिखाई। 26 सितंबर 1923 को जन्‍में देवानंद का आज 94वां जन्मदिन है।

देवानंद अपनी जिंदगी के अंतिम समय तक सक्रिय रहे। बतौर निर्माता-निर्देशक वे सफल भले ही न हुए हों लेकिन उन्होंने अपनी सक्रियता कम नहीं की। अब देवानंद की जिंदगी पर उनके बेटे एक फिल्म भी बना रहे हैं।

देवानंद किसी भी किरदार को बहुत ही जल्‍दी ही प्रभावी बना देते थे यही उनके अभिनय की खासियत भी थी। देवानंद की कामयाबी के पीछे एक बहुत बड़ा हाथ था और वो था गुरूदत्‍त का। इन्‍हीं के कारण देवानंद के अभिनय की प्रतिभा को पहचान उन्‍हें सम्‍मान दिया गया।

राजकपूर ने भी देवानंद के अभिनय को निखारने में बहुत मदद की। अशोक कुमार के कारण ही इन्हें फिल्म ‘जिद्दी’ में काम करने का मौका मिला। इसी फिल्‍म से इनकी कामयाबी की बुलंदियां शुरू हुई और इसके बाद तो जैसे देवानंद ने कभी पीछे मुड़कर ही नहीं देखा।

देवानंद ने कभी भी काम से भागना नहीं सीखा था, वे गम में ना तो बहुत दुखी होते थे और खुशी में ना ही बेहद उत्‍साहित। अपने इसी व्‍यवहार के कारण वे अपने अंतिम दिनों में भी काम को लेकर जुनूनी बने रहे।

देवानंद अपने आपको इंटरनल रो‍मांटिक व्‍यक्ति कहलाना ज्यादा पसंद करते थे। इन्‍होंने रोमानियत की नई परिभाषा गढ़ी। देवानंद की नजर में मोहब्बत पाने का अहसास नहीं बल्कि मोहब्बत करने का अहसास है। यही कारण था उनकी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ का अंतरराष्ट्रीय संस्करण भी जारी हुआ है।

देवानंद की सुरैया से मोहब्बत किसी रोमांटिक फिल्म से कम नहीं थी। दोनों के प्यार के बीच हिंदू-मुसलिम की दीवार आ खड़ी हुई।

 इस दीवार के कारण इनकी मोहब्‍ब्‍त को कामयाबी नहीं मिल पाई। गौरतलब है कि, उनकी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में भी उनके और सुरैया के रिश्ते के बारे में कई खुलासे हुए हैं।

इन दोनों ने लगभग सात फिल्मों ‘अफसर’, ‘नीली’, ‘विद्या’, ‘जीत’,‘शेर’, ‘सनम’ और ‘दो सितारे’ में साथ काम किया। हालांकि ब्रेकअप के बाद दोनों ने साथ में एक भी फिल्‍म नहीं की।

फिल्‍म ‘हम एक हैं’ से बॉलीवुड में कदम रखने वाले देवानंद हमेशा से ही सदाबहार अभिनेताओं में गिने गए। बतौर अभिनेता देवानंद की सबसे अधिक चर्चित फिल्‍म थी ‘गाइड’, ‘जिद्दी’, ‘काला पानी’, ‘हरे कृष्णा हरे रामा’, ‘मुनीम जी’।

1946 से 2011 तक देवानंद ने सिनेमा की दुनिया में सक्रिय रहते हुए लगभग 19 फिल्मों का निर्देशन किया और अपनी 13 फिल्मों की कहानी खुद लिखी। देवानंद 40 के दशक में एक स्टाइलिश हीरो के रूप में उभरे।

देवानंद को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के साथ-साथ पद्मभूषण और दादा साहेब फाल्के जैसे पुरस्कारों से भी नवाजा गया। छह दशकों में देवानंद ने बॉलीवुड में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी दी।