मां दुर्गा को एक भक्त ने चढ़ाई जीभ, खून से लाल हो गया मंदिर का फर्श
नवरात्र के पहले दिन यानी गुरुवार को लखनऊ में एक शख्स ने मां दुर्गा के मंदिर में अपनी जीभ काटकर चढ़ा दी। फिर वही बेहोश होकर गिर पड़ा और मंदिर में चारों तरफ खून बिखर गया। जब कुछ भक्त पूजा करने पहुंचे तो मंदिर का सीन देख उनके होश उड़ गए। सूचना पर आनन-फानन में परिजन मौके पर पहुंचे और वो भी मंदिर में बैठकर पूजा-पाठ करने लगे। दूसरी ओर, जब पुलिस उसे हॉस्पिटल ले जाने लगी तो परिजनों ने इलाज कराने से मना कर दिया।
-घटना राजधानी के जानकीपुरम के पास मड़ियांव की है। नेवाजपुर कुर्सी रोड गुडंबा निवासी मेवालाल यहां अपने परिवार के साथ रहता है। उसके परिवार में पत्नी मधुरी, बेटा बृजेश प्रजापति (25) और उसकी पुत्रबधू पूजा और पौत्र अभिनव हैं।
-मेवालाल ने बताया, उनका बेटा बृजेश कुर्सी रोड स्थित भारत पेट्रोलियम गैस प्लांट में काम करता है और वह मां दुर्गा का बड़ा भक्त है।
-बृजेश बुधवार रात दो बजे अपनी पत्नी पूजा से बोला- वह मामा नन्हे के यहां मड़ियांव जा रहा है। गुरुवार सुबह अहिरन टोला स्थित दुर्गा मंदिर में जब भक्त पूजा करने पहुंचे तो देखा कि बृजेश बेहोश पड़ा है और उसकी जुबान कटी पड़ी है।
भक्तों ने मंदिर में बंद किया प्रवेश
-मां दुर्गा के मंदिर में जुबान चढ़ाने की जानकारी होते ही वहां भक्तों का जमावाड़ा लग गया। इस दौरान बृजेश के परिजनों ने एलान कर दिया कि मंदिर में पड़े बृजेश को कोई छू नहीं सकता। मंदिर में पर्दा डाल कर बृजेश को देखते के लिए भी मना कर दिया गया।
-भक्तों ने कहा, जब तक मंदिर के अंदर पड़ा बृजेश ठीक नहीं हो जाता, तब-तक मंदिर के परिसर में ही पूजा-पाठ लोग कर सकते हैं। अंदर कोई भी पूजा-पाठ नहीं कर सकता है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस को भी मंदिर के अंदर जाने से भक्तों ने रोक दिया।
9 साल पहले मामा भी चढ़ा चुका है जीभ काटकर
-स्थानीय लोगों ने बृजेश के परिजनों से कहा, उसे इलाज की आवश्यकता है हॉस्पिटल पहुंचा दो, लेकिन परिजनों ने मना कर दिया।
-मौके पर पहुंची पुलिस के समझाने पर बृजेश के मामा नन्हेलाल पुलिस से उलझ गया। उसने अपना मुंह खोल कर दिखाते बोला- 9 साल पहले इसी मंदिर में नवरात्र के दिनों में उसने अपनी जुबान काट कर चढ़ाई थी और आज माता रानी की कृपा से वह ठीक है।
-इंस्पेक्टर जानकीपुरम अमरनाथ वर्मा ने बताया, मंदिर में जुबान चढ़ाने वाला बृजेश की हालत खतरे से बाहर है। उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाने का प्रयास किया गया था, लेकिन उसके परिजन आस्था का हवाला देकर इलाज कराने से मना कर दिया है।


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