Header Ads

इसल‍िए ऐश ने चुनी पिता की अस्थ‍ियों को व‍िसर्जित करने के ल‍िए ये जगह


एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय शनिवार को अपने पिता का अस्थ‍ि कलश संगम में प्रवाहित करने के लिए इलाहाबाद पहुंची। इस दौरान पति अभिषेक बच्चन, बेटी आराध्या, मां वृंदा राय और ऐश्वर्या के भाई भी उनके साथ थे। बता दें, 18 मार्च को ऐश्वर्या के पिता कृष्णराज राय का निधन हुआ था।?

गंगा, जमुना और सरस्वती का अद्भुत संगम इलाहाबाद में है, जो यहां के महात्म्य को बल देता है। दरअसल, इसके पीछे भी राजा दशरथ के श्राद्ध से जुड़ी एक कहानी है।

- कहा जाता है कि भगवान राम ने त्रिवेणी तट पर ही अपने पूर्वजों का तर्पण किया था। ऐसा माना जाता है कि यहां राम के पंडों की वो पीढ़ी आज भी मौजूद है, जिसे वे अयोध्या से लेकर आए थे।

- प्रयाग के तीर्थ पुरोहितों की मानें तो भगवान विष्णु चरण भी इलाहाबाद में ही विराजमान माने जाते हैं। यही वजह है कि श्रद्धालु अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना लेकर यहां आते हैं और यही कारण था कि ऐश्वर्या बच्चन भी फैमिली के साथ यहां आईं।


 इलाहाबाद को तीर्थराज भी कहते हैं। अयोध्या और वाराणसी में रामकथा लिखने वाले तुलसीदास का महाकाव्य भी तीर्थराज प्रयाग से ही शुरू होता है। मकर संक्रांति पर जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब यहां स्नान
का विशेष महत्व है।

- रामचरित मानस में तुलसीदास ने लिखा है- माघ मकरगत रबि जब होई, तीरथपति आवैं सब कोई।। इसका अर्थ है क‍ि जब माघ महीने में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो बड़े-बड़े संन्यासियों से लेकर गृहस्थों तक सभी तीरथपति प्रयाग में त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए आते हैं।

- प्रयाग शब्द का अर्थ है जो सारे यज्ञों से श्रेष्ठ हो। स्कंधपुराण में कहा गया है- यागेभ्यः प्रकृष्टः अर्थात जो सभी यज्ञों से बढ़कर है, वो प्रयाग है। इस भूमि पर आने से ही सारे यज्ञों का पुण्य मिलता है।

- श्राद्ध कर्म के लिए भी ये स्थान श्रेष्ठ माना गया है। ग्रंथों में जिस वेद पुरुष की बात कही गई है, इलाहाबाद यानी प्रयाग उसी वेद पुरुष की नाक माना गया है। यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का संगम माना गया है, जिसका प्रतीक

तीन नदियों का मिलन है। शिव की जटा से निकली गंगा, श्रीकृष्ण की पत्नी कालिंदी यानी यमुना और ब्रह्मा की बेटी सरस्वती। इन तीनों का संगम त्रिदेवों का संगम है।

 ऐसी मान्यता है कि जो लोग अपना शरीर छोड़ जाते हैं, वे किसी भी लोक में या किसी भी रूप में हों, श्राद्ध पखवाड़े में पृथ्वी पर आते हैं और श्राद्ध व तर्पण से ही तृप्त होते हैं।

- शास्त्रों में पितरों का स्थान सबसे ऊंचा बताया गया है। पितरों की श्रेणी में मृत माता, पिता, दादा, दादी, नाना, नानी सहित सभी पूर्वज शामिल हैं। व्यापक दृष्टि से मृत गुरू और आचार्य भी पितरों की श्रेणी में आते हैं।