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कैसे मनाई द्रोपदी ने पांच पांडवो के साथ सुहागरात


वह पहली महिला है जिसके पांच पति थे क्या वह क्या वहां पांच पतियों के साथ एक साथ रमण करती थी

द्रोपदी की कथा और उनकी व्यथा से बहुत ही कम लोग परीक्षित होंगे क्या उस काल में पांच पतियों वाली पत्नी द्रोपती को स्वीकार किया था

क्या उस समय विवाद खड़ा नहीं हुआ था इसे कई सवाल आज भी हमारे मन में आते है लेकिन हमें इनका जबाव आज तक नहीं मिला

द्रोपदी ने तो शादी सिर्फ अर्जुन से ही की थी किन्तु रिश्ता सभी भाई के साथ बनाया था. क्या द्रोपति सिर्फ अर्जुन से ही प्यार करती थी

तो फिर अन्य भाइयों के साथ वह क्यों रही उन्होंने फिर उनके साथ भोगविलास क्यों किया

हिंदू धर्म में महाभारत का एक अलग ही इतिहास है महाभारत का स्मरण करते ही हमारे मन में श्री कृष्ण और दुर्योधन के साथ-साथ पांच पांडव और द्रोपदी का चित्र हमारी आंखों के सामने आ जाता है

महाभारत का युद्ध विश्व में सबसे महान और सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है इस युद्ध में धर्म ने अधर्म पर विजय पाई थी.

किंतु हर विषय में कोई न कोई प्रश्न है तो छूट ही जाता है वैसे ही कई प्रश्न इस महाभारत की कथा में भी छूट गए. सबसे बड़ा प्रश्न यह है

 कि क्या द्रोपदी सभी पांडवों के साथ संभोग करती थीं. और यदि वह सभी पांडवों के साथ संभोग करते थे तो सबसे पहले किस पांडव के साथ द्रोपति ने संभोग किया.

दुर्योधन द्वारा पांडवों के मारे जाने की खबर सुनकर पांचों भाई मां कुंती के साथ ब्राम्हण का जीवन बिताने लगे सभी  ब्राम्हणों की तरह भिक्षा मांग कर लाते और मां कुंती उन सभी में  शिक्षा को सभी में बराबर बराबर बांट देती उसी समय द्रोपदी का स्वयंवर चल रहा था

उसी समय द्रोपदी का स्वयंवर चल रहा था द्रोपति के स्वयंवर में राजा के निर्देश का पालन कर अर्जुन ने द्रोपदी को स्वीकार किया उस समय वहां पर भगवान श्रीकृष्ण और बाकी सब लोग भी वहां पर उपस्थित थे इसे साफ जाहिर होता है

कि द्रोपदी का विवाह सिर्फ अर्जुन से ही हुआ था तो उस समय मां कुंती भगवान की आराधना कर रही थी किंतु जब ब्रह्मणों का जीवन व्यतीत कर रहे

पांचों भाई द्रोपति को लेकर घर आए जैसे ही उन्होंने कहा कि मां देखो हम क्या लाए हैं मां ने इतना सुनते ही कहा कि तुम जो भी लाए हो सभी भाई मिल बांट कर खा लो

सभी भाई मां की बात को एक आदेश की तरह मानते थे वह सब चुप हो गए बाद में जब कुंती ने बाहर आकर देखा तो वह देखकर आश्चर्यचकित हो गई

फिर उसने युधिष्ठिर से बोला तुम ऐसा करो कि मेरी बात भी सही हो जाए और और कुछ गलत भी ना हो युधिष्ठिर ने मां का आदेश पाकर यह फैसला क्या कि

सभी भाई द्रोपति से शादी करेंगे किंतु हिंदू धर्म में एक से ज्यादा शादी करना पाप माना चाहता था इसलिए द्रोपदी के पिता को इस बात की काफी चिंता हुई पर ऋषि व्यास जी ने उनको बताया

 कि पूर्व जन्म में द्रोपति ने भगवान शिव की तपस्या करके उनसे एक वरदान मांगा था सर्वगुणसंपन्न चाहिए

द्रोपति ने यह बात 5 बार कही थी इसलिए भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि तुम्हें अगले जन्म में 5 भारत ऋषि विषयों के पुत्र से तुम्हारा विवाह होगा

 यह बात सुनकर द्रोपति के पिता पांचों भाइयों के साथ द्रोपति का विवाह करने के लिए तैयार हो गए द्रोपति का विवाह सबसे पहले अक्षर भाइयों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर के साथ हुआ

जिसके चलते द्रोपति ने युधिष्ठिर के साथ सबसे पहले संभोग किया.  उसके अगले ही दिन द्रोपति का विवाह भीम के साथ हुआ.

 और साथ भी संभोग किया. और उसी तरह अर्जुन नकुल और सहदेव के साथ भी हुआ

जैसा कि सभी देवताओं को पता था कि द्रोपदी को पिछले जन्म में ही पांच पतियों के साथ शादी का वरदान मिल चुका था

 भगवान शिव ने द्रोपदी की तपस्या से खुश होकर उन्हें कन्या कहा था जिसे उन्होंने द्रोपति को वर्जिन रहने का वरदान दिया था.

 जिससे द्रोपति रोज नहाने के बाद कन्या भाव को प्राप्त होती थी किसी कारणवश द्रोपति का विवाह संपन्न हो पाया