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अकबर ने बनवाया था ये किला, जहां से शुरू हुई थी देश की गुलामी की दास्तां


मजबूत किलों में से एक अकबर का किला अजमेर का किला के नाम से भी जाना जाता है

राजस्थान के मजबूत किलों में से एक है अजमेर का अकबर का किला। मुगल बादशाह अकबर ने इस किले का निर्माण 1571 से 1574 ईस्वी में कराया था। बादशाह जहांगीर ने 1613 से 1616 के दौरान यहीं से सैन्य अभियानों का संचालन किया। इसमें चार बड़े बुर्ज और विशाल दरवाजे हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में कारोबार की यहीं से मिली थी इजाजत...

- नया बाज़ार, अजमेर में स्थित अकबर का क़िला एक 'राजकीय संग्रहालय' भी है। यहाँ प्राचीन मूर्तियाँ, सिक्के, पेंटिंग्स, कवच आदि रखे हुए हैं।
- अकबर हर साल ख्वाजा साहब के दर्शन करने और राजपूताना के युद्धों में भाग लेने के लिए यहाँ आया करता था। अकबर ने अपने ठहरने के लिए क़िले का निर्माण करवाया, जो अकबर के क़िले के नाम से जाना जाता है। बादशाह जहाँगीर भी यहां पर बने - झरोखे से लोगों को दर्शन देता था। हल्दी घाटी के युद्ध को अंतिम रूप इसी किले में दिया गया था। 1818 में इस क़िले पर अंग्रेज़ों ने अधिकार कर लिया था। अंग्रेज़ों ने इसका इस्तेमाल राजपूताना शस्त्रगार के तौर पर किया और वे इसे 'मैग्जीन' के नाम से पुकारते थे।
- इंग्लैंड के राजा जार्ज पंचम के दूत टॉमस रो को ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए भारत में कारोबार करने की इजाजत लेने इसी किले में भेजा था। इसी किले की एक खिड़की में बैठकर मुगल बादशाह जहांगीर ने इजाजत का फरमान जारी किया था। इसके बाद अंग्रेजों ने भारत के अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा करना शुरु किया और आखिरकार देश को गुलाम बना लिया।
किले के परकोटे के भीतर शहर बसा हुआ था
इस किले के नाम को लेकर पिछले कुछ सालों से विवाद चल रहा है। इसे अजमेर का अकबर का किला या राजकीय संग्रहालय या अजमेर का किला के नाम से भी जाना जाता है। 1571 से 1574 ईस्वी में इस किले का निर्माण हुआ था।इस किले के परकोटे के भीतर शहर बसा हुआ था। यह किला भी मजबूत परकोटे, गहरी खाई की किलेबंदी में घिरा हुआ था। बेजोड़ स्थापत्य कला का नमूना है ये किला।