अगर न रोकते मनोज कुमार तो फ्लॉप फिल्मों से दुखी अमिताभ कर जाते ऐसा
भारत कुमार के नाम से फेमस हो चुके हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी यानी मनोज कुमार 80 साल के हो गए हैं। 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद, पाकिस्तान में जन्में मनोज को 'हिमालय की गोद में', 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'रोटी कपड़ा और मकान' और 'क्रांति' जैसी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर मनोज कुमार ने अमिताभ बच्चन को न रोका होता तो वे 43 साल पहले फिल्म इंडस्ट्री छोड़कर चले गए होते। आखिर क्यों इंडस्ट्री छोड़ना चाहते थे अमिताभ...
- अमिताभ बच्चन ने 1969 में डायरेक्टर ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' बॉलीवुड डेब्यू किया। इसके लिए उन्हें बेस्ट न्यूकमर का नेशनल अवॉर्ड भी दिया गया था।
- लेकिन न केवल 'सात हिंदुस्तानी' फ्लॉप रही, बल्कि इसके बाद एक के बाद एक उनकी कई फिल्में बॉक्सऑफिस पर कमाल दिखा पाने में फेल रहीं।
- कहा जाता है कि लगातार फ्लॉप फिल्मों से परेशान अमिताभ ने फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं, मुंबई तक छोड़ने की तैयारी कर ली थी।
- इसी दौरान मनोज कुमार ने उन्हें रोका और अपनी फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान'(1974) में अहम रोल दिया।
- बता दें कि अमिताभ की पहली सोलो हिट 'जंजीर' थी, जो 'रोटी कपड़ा और मकान' से एक साल पहले यानी 1973 में रिलीज हुई थी। लेकिन यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि अमिताभ ने 'जंजीर' से पहले 'रोटी कपड़ा और मकान' साइन की थी।
मनोज की सलाह के बाद 'डॉन' में जुड़ा था फेमस गाना
- एक बार फिर अमिताभ बच्चन और मनोज कुमार की बात करते हैं। अमिताभ की 'डॉन' 1978 में रिलीज हुई थी, जिसे चन्द्र बारोट ने डायरेक्ट किया था। पहले इस फिल्म में सॉन्ग 'खइके पान बनारस वाला' नहीं रखा गया था।
- जब मनोज कुमार ने फिल्म का रफ़ कट देखा तो उन्हें यह कुछ अधूरी सी लगी। उन्होंने चंद्र बारोट को सलाह दी कि फिल्म के सेकंड हाफ में एक गाना होना चाहिए।
- अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि इसके लिए कोरियोग्राफर सरोज खान ने कई दिनों तक बिना ब्रेक फिल्म देखी और बाद में यह फिल्म में जोड़ा गया।
- अमिताभ के मुताबिक, फिल्म की रिलीज के समय सरोज खान दुबई में थीं और जब उन्होंने यह गाना देखा तो देखते ही रह गईं। वे कई दिनों तक सिर्फ यह गाना देखने थिएटर जाती थीं। खास बात यह है कि थिएटर मालिक उन्हें बिना टिकट अंदर जाने की इजाजत दे देता था। सरोज आतीं, गाना देखतीं और वापस लौट जातीं।
ऐसे बने मनोज कुमार
- मनोज कुमार अपने जवानी के दिनों में दिलीप कुमार से प्रभावित थे।
- 1949 में दिलीप साहब और कामिनी कौशल स्टारर फिल्म 'शबनम' रिलीज हुई। इस फिल्म में दिलीप के किरदार का नाम मनोज था। हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी को यह नाम भा गया और उन्होंने हमेशा के लिए इसे अपना लिया।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री ने दी थी उपकार बनाने की सलाह
- 1967 में रिलीज हुई 'उपकार' की प्रेरणा मनोज कुमार को देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहाहुर शास्त्री से मिली थी।
- कहा जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री को मनोज कुमार की 'शहीद' (1965) बहुत पसंद आई थी। इसके बाद उन्होंने उन्हें 'जय जवान जय किसान' पर एक फिल्म बनाने की सलाह दी थी। इसे ही मनोज कुमार ने 'उपकार' नाम से बनाया।
- खास बात यह है कि फिल्म की कहानी मनोज कुमार ने शास्त्रीजी से मुलाक़ात के बाद दिल्ली से मुंबई लौटते वक्त ही लिख ली थी।
कभी नहीं करते हवाई जहाज में सफ़र
- मनोज कुमार कभी हवाई जहाज में सफर नहीं करते। इसके पीछे दिलचस्प किस्सा है।
- दरअसल, 'पूरब और पश्चिम' की शूटिंग के दौरान मनोज कुमार को हवाई जहाज में बैठना पड़ा था। लेकिन उस वक्त उनके मन में ऐसा डर बैठा कि फिर कभी उन्होंने हवाई यात्रा नहीं की।


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