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जब 'नागलोक' से आकर त्रिशूल से लिपट गया था नाग, पुजारी की फूल गई थी सांसें


एमपी में पचमढ़ी के पास है नागद्वारी जहां नागपंचमी के अवसर मेला लगा हुआ है। इसमें शामिल होने करीब 10 लाख लोग आते हैं। इस जगह का रहस्य अभी तक अबूझ पहेली बना हुआ है। इस मंदिर में एक समय ऐसा थी देखा गया गुफा से साक्षात का नाग बाहर आया और शिव के त्रिशूल से लिपट गया। बाद में वह वैसे ही अंदर चला गया। क्या हुआ था नागपंचमी के दिन...

(28 जुलाई को देशभर में नागपंचमी मनाई जा रही है। इस अवसर पर हमारी टीम 'नागद्वारी पिलग्रिम ट्रेक' पर गई जिसमें 18 घंटे दुर्गम रास्तों पर पैदल चलना

था। इस मौसम में यहां लगातार बारिश होती है। ऐसे फिसलन भरे और चट्टानी रास्तों पर 10 लाख लोग हर साल आते हैं लेकिन आज तक इसका कवरेज कभी बाहर नहीं आया।)

अंदर से खोखली है जिसमें हजारों सांप निवास करते हैं
-पचमढ़ी से 6 किमी जिप्सी से जाकर फिर 8 किमी की यात्रा पैदल कर नागद्वारी पहुंचे।

-नागद्वारी में 18 से 28 जुलाई के बीच मेला भरता है जिसमें 10 लाख लोग शामिल होते हैं। इसमें से 90 फीसदी महाराष्ट्र से होते हैं।

-विदर्भ के कुल देवता नाग हैं, इस वजह से नागपुर और उससे सटे हुए विदर्भ के इलाकों में नागद्वारी का विशेष महत्व है।

-नागद्वारी में जो गुफा है, उसके बारे में माना जाता है कि वहां नागों का वास है। जिस पहाड़ में ये गुफा है वह अंदर से खोखली है जिसमें हजारों सांप निवास करते हैं।

यहां लोग नंगे रहते थे। उनके पास कपड़े नहीं होते थे।
-इसी गुफा के बारे में नागपुर से आए पदमशेष सेवा मंडल के संरक्षक उत्तम देशमुख से बात की जिनकी उम्र 80 साल है। वह 65 सालों से लगातार नागद्वारी आ रहे हैं।

-उत्तम जी ने बताया कि वह 1952 में पहली बार नागद्वारी आए थे, तब उनकी उम्र 15 साल थी।
-जब वह यहां आए तो यहां लोग नंगे रहते थे। उनके पास कपड़े नहीं होते थे। कुछ लोग साल के पत्ते लपेट कर रहते थे। हमने उन्हें कपड़े दिए थे।

-पहले लोग पेड़ों की बेल पकड़कर यहां आते थे। बाद में (1973,74) में यहां शेड बनाकर मेले की शुरुआत की गई।
नागदेवता शिव के त्रिशूल में जाकर लिपट गए थे

-उत्तम जी ने बताया कि ,2012, में नागपंचमी के दिन उन्हें साक्षात नागदेवता ने दर्शन दिए।
-जब वह मंदिर में बैठे थे और भक्तों को नारियल दे रहे थे तब नारियल उठाते समय कुछ लिजलिजा से लगा। लगा कि शायद कपूर पानी गिरने से लिजलिजा हो गया है।

-बाद में जब सांप ने हलचल की और सामने आया तो होश उड़ गए लेकिन वहां से कहीं जाने की जगह भी नहीं थी इसलिए वह वहीं बैठे रहे और इंटर कॉम पर गुफा से बाहर सूचना दी।

-तब कुछ लोग कैमरा लेकर गुफा के अंदर आए। तब तक नागदेवता शिव के त्रिशूल में जाकर लिपट गए थे।
-गुफा में साक्षात नागदेवता को देखकर श्रद्धालु वहां कपूर जलाने लगे जिससे नाग देवता फुंफकारने लगे।
-थोड़ी देर बाद जैसे ही वह बाहर आए थे, वैसे ही वह गुफा के अंदर चले गए।