धोनी की फिल्म में दिखे उनके दोस्त, किसी की हो चुकी डेथ, कोई चलाता है दुकान
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी के स्टार क्रिकेटर बनने की कहानी पिछले साल आई उनकी बायोपिक 'एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी' में दिखाई गई है। इस मूवी में उनकी कई दोस्तों का भी जिक्र है जो बचपन से लेकर उनके करियर के शुरुआती दौर में साथ रहे हैं। धोनी के ऐसे ही खास दोस्त थे संतोष लाल जिन्होंने धोनी को उनका सिग्नेचर हैलीकॉप्टर शॉट खेलना सिखाया था पर 2013 में संतोष की एक बीमारी के चलते मौत हो गई थी। समोसे के बदले संतोष ने सिखाया था शॉट
- धोनी और संतोष साथ में टेनिस बॉल टूर्नामेंट खेला करते थे, उसी दौरान धोनी संतोष के एक शॉट के दीवाने हो गए जिसे वे थप्पड़ शॉट कहते थे। धोनी ने जिद की कि संतोष भी उन्हें ये शॉट खेलना सिखाएं। इसके बाद संतोष ने समोसे खिलाने की शर्त पर धोनी को ये शॉट खेलने का तरीका बताया। यही शॉट आज धोनी के हैलीकॉप्टर से जाना जाता है।
- पर दुख की बात यह है कि धोनी को फेमस शॉट सिखाने वाले संतोष इस दुनिया में नहीं है। 2013 में संतोष की एक्यूट पैंक्रियाइटिस नामक बीमारी से मौत हो गई थी।
धोनी की कोशिश के बाद भी नहीं बचे संतोष
- धोनी जब टीम इंडिया के साथ एक टूर पर थे तब उन्हें संतोष की नाजुक हालत की खबर मिली। धोनी ने तभी फोन कर संतोष को ले जाने के लिए रांची से दिल्ली एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की। इसके बाद संतोष ने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया था। संतोष के इलाज का पूरा खर्च धोनी उठा रहे थे।
धोनी के करियर के शुरुआती दौर में उनके दोस्त छोटू भैया यानी परमजीत कौर का अहम योगदान रहा। धोनी जब लोकल लेवल क्रिकेट खेलते थे तब परमजीत स्पोर्ट्स की दुकान चलाते थे। परमजीत धोनी को खेलने के लिए बैट देते थे। परमजीत ने ही दोस्तों के साथ मिलकर धोनी को टैक्सी रेंट पर कराई थी जब वे टीम सिलेक्शन के लिए फ्लाइट चूक गए थे। इसके अलावा परमजीत ने धोनी को सबसे पहले बैट की स्पॉन्सरशिप भी दिलाई है। परमजीत अब भी स्पोर्ट्स आइटम्स की दुकान चलाते हैं
स्कूल लाइफ से धोनी के दोस्त रहे चिट्टू (सीमंत लोहानी) ने हरदम उनका साथ दिया है। फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि धोनी की पहली गर्लफ्रेंड की मौत के बाद चिट्ट ही उन्हें इसकी खबर देते हैं और उन्हें संभालते हैं। चिट्ट अब भी धोनी के घर के पास ही रहते हैं। धोनी जब भी घर जाते हैं चिट्टू से जरूर मिलते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक चिट्टू प्राइवेट जॉब करते हैं।
रणजी क्रिकेटर सत्यप्रकाश को धोनी सत्तू कहकर बुलाते हैं। धोनी के सीनियर रहे सत्यप्रकाश भी रणजी क्रिकेटर रहे हैं और उन्हें स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में जॉब मिल गई थी। बाद में सत्यप्रकाश की मदद से धोनी को साउथ ईस्टन रेलवे में पोस्टिंग मिलती है। सत्यप्रकाश अब भी रेलवे में काम करते हैं।


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