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गायों की कब्र बनी गौशाला, 536 गोवंश की मौत, तड़प रही है 2 हजार गायें


राजस्थान में बीती चार दिनों से हो रही बारिश से जालौर की गोशाला संस्थान पथमेड़ा और इसकी शाखाओं में 536 से अधिक गोवंश की मौत हो गई है। इस गोशाला में करीब 2 हजार गौवंश बीमारी के चलते बैठा हुआ है, जो उचित इलाज और सेवा से ठीक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि इस गौशाला में इस हादसे से पहले करीब 49 हजार से अधिक गोवंश था। कैसे बनी ये स्थिति.

गोशाला प्रबंधन के अनुसार पथमेड़ा समेत इससे संबद्ध 18 गोशालाओं में तेज बारिश के कारण विकट स्थिति बनने से गोवंश की मौत हो गई है।

- पांचला बांध टूटने गोधाम पथमेड़ा और इससे संबंधित गोशालाओं में तेज वेग से पानी का बहाव हुआ। पानी का बहाव इतना तेज था कि वह गोवंश को अपने साथ बहाकर ले गया।

- गायों को बचाने का पूरा प्रयास किया गया। बारिश के बाद बिगड़े हालात ये यहां के दृश्य देखकर रोंगटे खड़े हो जाते है। यहां कार्यरत ग्वाले, प्रबंधन के लोग और संन्यासी खुद पानी से गोवंश को निकालकर उनकी सेवा में लगे हुए है।

- फिलहाल यहां करीब 2 हजार के आस-पास गाय बीमार है, जिनकी सेवा की जाएं तो उन्हें बचाया जा सकता है।
- हालांकि सांसद देवजी पटेल और सांचोर विधायक सुखराम विश्नोई ने गोशाला का दौरा जरूर किया है। लेकिन गायों के बचाव व उनके उपचार को लेकर अभी तक पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहींं हो पाई है।
- दो दिन बाद ब बुधवार को पशु चिकित्सकों की टीम यहां उपचार के लिए जरूर पहुंची है। लेकिन बीमार गायों की संख्या देखते हुए यह नाकाफी है।

536 की मौत, तीन हजार से अधिक बीमार

- पथमेड़ा गोधाम समेत इसकी 18 शाखाओं में करीब 49 हजार गोवंश है। इनमें से 536 गोवंश की मौत हो चुकी है। वहीं दो हजार के करीब गोवंश मरणासन्न अवस्था में है।

- गोपाल गोवर्धन गोशाला पथमेड़ा, महावीर हनुमान गोशालाश्रम गोलासन, मनोरमा गोलोक तीर्थ नंदगांव और धन्वंतरी गोसेवाश्रम में सामान्य दवाई बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है।

- शेष अन्य गोशालाओं में दवाई और पोष्टिक आहार खत्म हो चुका है। ऐसे में बारिश के बाद अब यहां पर गोवंश की सेवा करना काफी मुश्किल हो सकता है। इन गोशालाओं में गोवंश की संख्या को देखते हुए चारे की उपलब्ध बहुत कम है।

- गोधाम पथमेड़ा के सह-संयोजक गोविंद वल्लभ ने बताया कि गोधाम पथमेड़ा और इसकी शाखाओं में अतिवृष्टि व बाढ़ से 536 गोवंश की मौत हो चुकी है।

- काफी गोवंश बीमार व मरणासन्न है। पोष्टिक आहार, दवाई व चारे की उपलब्धता कम है। ऐसे में प्रशासन इसकी सुध ले। गोसेवक खुद यहां आकर या किसी के साथ सहायता उपलब्ध करवाकर मरणासन्न गोवंश को बचा सकते है।