17 मंजिला बिल्डिंग से ऊंचा था ये शिप, 3 फुटबॉल मैदान जितनी थी लंबाई
ब्रिटेन के यात्री जहाज टाइटैनिक पर वो सबकुछ था, जिसकी व्यक्ति कल्पना करते हैं। यह उस समय का दुनिया का सबसे बड़ी जहाज था, जिसे कभी न डूबने वाला जहाज कहा जाता था। हालांकि, यह बात गलत साबित हुई और 10 अप्रैल, (1912) को अपने पहले सफर के दौरान ही टाइटैनिक हादसे का शिकार होकर उत्तरी अटलांटिक सागर में डूब गया था। हादसे में 1513 लोगों की मौत हो गई थी। जहाज का पहला मलबा 75 साल बाद 27 जुलाई, (1987) को निकाला गया था।17 मंजिला बिल्डिंग से ऊंचा था टाइटैनिक...
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, टाइटैनिक जहाज इंपीरियल स्टेट बिल्डिंग जितना ऊंचा था। यानी कि इसकी ऊंचाई करीब 17 मंजिला इमारत के बराबर थी। वहीं, इस जहाज की लंबाई फुटबॉल के तीन मैदानों के बराबर थी। जहाज में रोज 800 टन कोयले की खपत होती थी। इसके अलावा टाइटैनिक में लगी सीटी की आवाज को 11 मील की दूरी तक सुना जा सकता था।
टाइटैनिक शिप में यात्रियों और क्रू मेंबर्स के खाने का अच्छा-खासा इंतज़ाम था। जहाज पर खाने के लिए 86,000 पाउंड मीट, 40,000 अंडे, 40 टन आलू, 3,500 पाउंड प्याज, 36,000 सेब और 1,000 पावरोटी के पैकेट के साथ कई तरह के खाने का सामान मौजूद था।
टाइटैनिक शिप में फर्स्ट क्लास में सफर करने के लिए आज से करीब सौ साल पहले 4,350 डॉलर (करीब 2 लाख 70 हजार रुपए) चुकाने पड़ते थे। वहीं, सेकंड क्लास के लिए 1,750 डॉलर ( करीब 1 लाख रुपए) और थर्ड क्लास के लिए 30 डॉलर (करीब दो हजार रुपए) की रकम चुकानी पड़ती थी। आज के वक्त में डॉलर की कीमत को देखा जाए, तो एक यात्री को 50 लाख रुपए खर्च कर इसमें सफर करने का मौका मिलता।
टाइटैनिक शिप के कैप्टन स्मिथ इस यात्रा के बाद रिटायरमेंट लेने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन ये सफर ही उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हो गया। जहाज में 900 टन भारी बैग और बाकी माल रखा था। जहाज पर रोजाना 14,000 गैलन पानी का इस्तेमाल होता था।

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