यहां कचरे से खाना बीनकर खाने को मजबूर हैं लोग
यमन पिछले कई सालों के चल रही जंग ने लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है और लोगों की भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। वहीं, यहां ऐसे भी कई लोग हैं जो कचरे से बीनकर खाना खाने को मजबूर हैं। ऐसा ही एक परिवार रुजैक का है।
१८, सदस्यों वाली इनकी फैमिली को कचरे के मैदान में शरण लेनी पड़ी है और लोगों का गुजारा कचरे में फेंके जाने वाले खाने-पीने के सामान से हो रहा है। बता दें यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्ध ने १८, लाख से ज्यादा लोगों को कुपोषण का शिकार बना दिया।
- नॉर्थ-वेस्ट यमन के रहने वाले रुजैक और उनके परिवार को जंग के दौरान सऊदी के हवाई हमलों के चलते अपना शहर और घर छोड़ना पड़ा था।
- उन्होंने अपने परिवार और सामान के साथ रेड सी के होदेइदाह पोर्ट पर अपने एक रिश्तेदार के यहां शरण ली थी, लेकिन पैसे न होने के चलते उन्हें ये जगह छोड़नी पड़ी।
- इसके बाद उन्हें और उनकी फैमिली को हाउती विद्रोहियों के कंट्रोल वाले इलाके में मौजूद एक कचरे के मैदान में अपना ठिकाना तलाशना पड़ा, जहां काफी संख्या में विस्थापित हुए लोग रह रहे हैं।
- सेहत का फिक्र न करते हुए ये कचरे का मैदान सैकड़ों लोगों के लिए खाने और जीने का जरिए बना हुआ है। इसके साथ ही ये कुछ युवाओं को इनकम का मौका भी दे रहा।
- ११, साल के अयूब मोहम्मद रुजैक ने बताया, ''हम कचरे में फेंका हुआ खाना-पीना खाते हैं। इसमें से हम फिश, मीट, आलू, प्याज और अनाज इकट्ठा कर अपना खाना बनाते हैं।''
- यहां रहने वाली फातिमा ने बताया कि हम बहुत खराब हालात में रह रहे हैं और युद्ध ने हमारी स्थिति को बहुत खराब बना दिया है। हम चाहते हैं कि बस अब युद्ध खत्म हो जाए।
- कचरे के मैदान से प्लास्टिक की बॉटल खरीदने वाले मर्चेंट ने बताया कि वो कभी ऐसी 1 किलो बॉटल्स के लिए ७, रुपए तक देते थे, पर अब सिर्फ १०, रियाल ही देते हैं।
- यूनाइटेड नेशन के आंकड़ों के मुताबिक, यहां युद्ध के चलते 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। वहीं जंग के चलते १०, हजार से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी है। इसके चलते इकोनॉमी धराशाई हो गई है। इसके चलते फैली अव्यवस्था और बीमारियों ने भी हजारों लोगों की जान ले ली है और देश में अकाल के हालात पैदा कर दिए।


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