Header Ads

इस शख्स का हो चुका है 28 ऑपरेशन, मां ने किडनी देकर बचाई थी जान


मनीष तिवारी लखनऊ के भारतीय भू-गर्भ वैज्ञानिक संस्थान में टेक्निकल असिस्टेंट हैं। मनीष की दोनों किडनियां फेल गई थी तब मां ने किडनी डोनेट कर उनकी जान बचाई थी। 11 बार हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो चुका है, दोनों आंखों में मोतियाबिंद का ऑपरेशन हो चुका है। अभी भी रात में ठीक से दिखाई नहीं देता, इस कारण कई बार इनका एक्सीडेंट भी हो चुका है। इनके कुल 28 ऑपरेशन हो चुके हैं। इसके बाद भी मनीष ने जिन्दगी से हार नहीं मानी है और छुट्टी वाले दिन गरीब बच्चों को मलिन बस्तियों में जाकर पढ़ाते हैं।


- मनीष ने कहा, ''मेरा जन्म 3 फरवरी 1971 को लखनऊ के आलमबाग क्षेत्र में हुआ था। पिता शिव कुमार जॉब नहीं करते थे। मां रजनी स्वास्थ्य विभाग में बेसिक हेल्थ वर्कर हैं। घर में हम 4 भाई बहन थे, मैं इनमें दूसरे नंबर का था। बचपन में स्कूल की फीस जमा करने और घर का खर्च चलाने में पैरेंट्स को काफी संघर्ष करना पड़ता था।''


- ''1990 में भारतीय भू गर्भ वैज्ञानिक संस्थान में टेक्निकल असिस्टेंट के तौर पर मेरी जॉब लगी थी। मुझें काम के सिलसिले में कई दिनों तक घर से दूर पहाड़ी इलाकों में रहना पड़ता था।''

- ''काम के दौरान मेरी दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी। इसकी जानकारी काफी लेट हुई। 2001 में मेरी बॉडी फूलने लगी थी। मेरा हाथों और पैरों में काफी स्वेलिंग आ गई थी। मुझे पीजीआई में एडमिट कराया गया था।''

- ''डॉक्टर ने अर्जेंट किडनी ट्रांसप्लांट करने को कहा। घर में भाई-बहनों की किडनी मैच कराई लेकिन किसी का मैच नहीं हो पाई। जब मां कि किडनी मिलाई तो उनका मैच कर गया। 2001 में मां ने किडनी डोनेट किया और मेरा किडनी ट्रांसप्लांट हो पाया।''


- ''मुझें 2012 में ब्रेन ट्यूमर भी हो गया था, बड़ी मुश्किल से मेरी जान बच पाई थी। उसके बाद मुझें मोतियाबिंद हो गया। कुछ दिनों बाद आंखों का ऑपरेशन किया गया। एक दिन बाइक चलाते हुए मेरा एक्सीडेंट हो गया।''

- ''डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत कर मेरी जान बचाई। मुझे हर महीने पीजीआई में चेक अप कराना पड़ता है। गाड़ी चलाने और रात में अकेले घूमने की मनाही है। पिता की डेथ के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मेरे उपर आ गई।''

- ''मुझें अपने बहनों की शादी करने थी। बहनों की शादी के चक्कर में काफी लेट हो गया। अब मेरी उम्र 40 साल के पार हो चुकी है। शरीर भी उस लायक नहीं है कि मैं शादी कर पांऊ।''

- ''पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जब मैं घर आया तो मैंने काफी धूम धाम से अपना जन्मदिन मनाया। मेरे जन्मदिन पर यूपी की परिवार कल्याण मंत्री  रीता बहुगुणा जोशी भी मौजूद थी। उसी दिन मैंने देहदान के लिए फ़ार्म भर दिया।''