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धर्मेंद्र ने इंडस्ट्री को कहा सब्जी मंडी, बोले- पैसों के कुछ भी कर रहे हैं स्टार्स




गुजरे जमाने के एक्टर धर्मेंद्र ने आज की बॉलीवुड इंडस्ट्री को सब्जी मंडी बताया है। उन्होंने कहा कि फिल्म स्टार्स पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। धर्मेंद्र ने हाल ही में एक एंटरटेनमेंट पोर्टल से बातचीत की। इसी बातचीत के दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के बारे में अपनी राय रखी। बता दें कि धर्मेंद्र की अपकमिंग 'यमला पगला दीवाना 3' है, जो नए साल में रिलीज होगी।


धर्मेंद्र ने इंटरव्यू में कहा, आज जो फिल्म इंडस्ट्री है वो उनके दौर की इंडस्ट्री से बहुत डिफरेंट है। उन्होंने कहा आज की इंडस्ट्री सब्जी मंडी बन गई है, जहां आप सब्जियां बेचते और खरीदते है। और जमकर सौदेबाजी भी करते हैं। आज का स्टार पैसों के लिए कहीं भी नाचने को तैयार हो जाता है। पैसे मिले तो कहीं भी जाकर गाने को भी तैयार रहता है। इतना ही नहीं तेल मालिश तक करने को तैयार हो जाते हैं।


82 साल को धर्मेंद्र ने कहा, 'हमारे दौर की इंडस्ट्री का माहौल कुछ और ही था। कलाकार पूरी शिद्दत से काम करते थे। लेकिन आज का कलाकार सिर्फ पैसों के लिए काम कर रहा है। आज स्टार्स के लिए पैसा ही सबकुछ है, लेकिन उनके दौर में ऐसा नहीं होता था'।



कभी अवॉर्ड न मिलने के सवाल के जवाब में धर्मेंद्र ने कहा, 'मैं अवॉर्ड लेने गया था। मुझसे कहा गया था कि दिलीप कुमार मुझे अवॉर्ड देंगे। मैं उनके लिए वहां गया था। मुझे फिल्मफेयर से कोई वास्ता नहीं था। फिल्म इंडस्ट्री में अवॉर्ड लेना आना चाहिए। लेकिन मैं इतना शातिर नहीं था और न ही मुझमें ऐसी कोई खूबी थी। स्टार्स अवॉर्ड पाने के लिए ओछे तरीके अपनाते हैं। मुझे ऐसे तरीके नहीं आते हैं'। बता दें कि कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने के बावजूद धर्मेंद्र को कभी बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड नहीं मिला। फिल्मफेयर ने उन्हें उनके करियर के शुरुआती दौर में बेस्ट टैलेंट का अवॉर्ड दिया था और इसके बाद उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया।



धर्मेंद्र ने अपने करियर में तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया। धर्मेंद्र ने 1960 में आई फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से बॉलीवुड में कदम रखा था। इसके अलावा उन्होंने 'अनपढ़' (1962), 'बंदिनी' (1963), 'पूजा के फूल' (1964), 'काजल' (1965) फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें सफलता 1966 में आई फिल्म 'फूल और पत्थर' से मिली। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। उन्होंने 'जीवन-मृत्यु' (1970), 'सीता और गीता' (1972), 'यादों की बारात' (1973), 'शोले' (1975), 'चरस' (1976), 'धरमवीर' (1977) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है।