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द्रोपदी के सहवास के कारण, कुत्ते करते है सार्वजानिक सेक्स


महाभारत एक ऐसा पवित्र काव्य ग्रंथ है जिसका अनुसरण हम आज भी करते हैं इस युग में यदि कोई कर्म व्यक्ति की जीवन में होता है

तो उसे उन्हीं के पूर्वजों की देन समझा जाता है कहा जाता है कि जो कर्म हमारे पूर्वज करते हैं उन्हीं का फल हमें मिलता है

और यह बात सिर्फ इंसानों पर ही नहीं जानवरों पर भी लागू होती है जीव जंतु मानव जाति उन सभी पर यह बात निर्भर करती है

 कि उनके पूर्वजों के द्वारा किए गए कर्म ही हमारे जीवन में होने वाली परेशानियों का कारण लगभग होते हैं या फिर हमारे ही द्वारा किए गए किसी कर्म की वजह से ही हमें उसका फल मिलता है

आज हम इस लेख में एक ऐसी घटना का जिक्र करेंगे जिसका संबंध महाभारत ग्रंथ से जुड़ा हुआ है महाभारत एक ऐसा काव्य ग्रंथ है

जिसका उल्लेख सदियों से होता आ रहा है. संभोग एक ऐसा शब्द है जिसका संबंध निजता से किया जाता है

और यही संभोग अक्सर हमें इस बात पर सोचने के लिए मजबूर कर देता कि आखिर कुत्ते सार्वजनिक स्थानों पर कैसे संभोग कर लेते हैं

मनुष्य संभोग करने में हजार मर्तबा सोचता है वह घर की चार दीवारी  के बीच संभोग करता है

लेकिन कुत्ते खुलेआम सार्वजनिक जगहों पर भी सहवास करने लग जाते हैं आखिर ऐसा क्यों इसके पीछे का कारण क्या है

हम आपको बता दें कि कुत्ते के सार्वजनिक स्थानों पर संभोग करने की बात भी महाभारत में ही छुपी हुई है

 शायद आपने अभी तक इस बात पर ध्यान न दिया हो लेकिन कुत्तों के सहवास करने को लेकर महाभारत में इसका राज छुपा हुआ है

कुत्तों के खुले में और सार्वजनिक स्थानों पर सेक्स करने के पीछे हिंदुओं के पवित्र महाग्रंथ महाभारत की एक घटना पर ही यह आधारित है

जैसा कि हम जानते ही हैं की माता कुंती की वजह से ही द्रौपदी पांच पांडवों की पत्नी हुई थी आप पहले ही जानते हैं

 कि जब अर्जुन अपनी पत्नी और भाइयों के साथ माता कुंती के सम्मुख गए थे तब अर्जुन ने माता से कहा था

 कि मां हम भिक्षा में आज बहुत ही अद्भुत चीज लेकर आए हैं इतना सुनते ही माता कुंती ने घर के भीतर से ही कह दिया कि तुम भिक्षा में जो भी लाए हो वह आपस में मिल बातकर उसका उपयोग कर लो लेकिन इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था

 कि वह भिक्षा में वधु लाए हैं जब माता कुंती को इस बात का पता चला तो माता कुंती अत्यंत व्याकुल हुई थी और उन्हें बहुत दुख भी हुआ

लेकिन माता के वचनों को ही अपना सबकुछ मानने वाले पांच पांडवों ने माता के वचन को पूरा किया और द्रोपदी में भी पांचों पांडवों को अपना पति स्वीकार किया

 लेकिन इसके बाद जो हुआ वह वाकई चौकाने वाला था. माता के वचनों को सुनकर द्रोपति ने पांचों पांडवों को अपना पति स्वीकार किया और सभी में यह बात निश्चय की की जो भी भाई द्रोपति के शयन कक्ष में प्रवेश करेगा

 वह द्वार के बाहर अपने चरण पादुका उतारेगा ताकि पता चल सके कि अंदर पहले से ही कोई मौजूद है जिसके चलते कोई भी सहवास के समय अंदर ना आ सके

एक बार ऐसा हुआ जब द्रोपति के शयनकक्ष में अर्जुन पहले से ही मौजूद थे तो उन्होंने जैसा के नियम बनाए गाया था वैसे ही अपनी चरण पादुका द्वार के बाहर ही छोड़ दें लेकिन

वह चरणपादुका कुछ समय बाद ही एक कुत्ता उठाकर ले गया और उसके साथ खेलने लग गया चरणपादुका के द्वार के बाहर ना होने के कारण भीम जब द्रोपति के शयनकक्ष में प्रवेश कर गए तो अपने भाई अर्जुन को द्रोपति के साथ संबंध बनाते हुए उन्होंने देख लिया

यह देख द्रोपति को काफी गुस्सा आया और वह विलाप भी करने लगी. भीम को जब द्रोपति ने अपने शयनकक्ष में देखा तो वह काफी क्रोधित हो गई

 और वह काफी शर्मिंदा भी होने लगी द्रोपति क्रोधित होते हुए कहा की  तुमने शयनकक्ष में प्रवेश कैसे किया तुमने पादुका द्वार के बाहर ही रखी हुई थी

तो फिर तुमने प्रवेश कैसे किया इस पर भीम ने अपना जवाब देते हैं कहा कि द्वार के बाहर कोई भी पादुका नहीं रखी गई है

जिसके कारण मैं अंदर आ गया इतना सुनते ही दोनों भाई कक्ष से बाहर आकर पादुकाओं को ढूंढना प्रारंभ कर दिया

चरणपादुका ढूंढते  ढूंढते वह जंगल में पहुंच गए जहां उन्होंने देखा कि एक कुत्ता उनकी पादुकाओं के साथ खेल रहा है द्रोपति ने जब देखा

 कि कुत्ते की वजह से यह सब कुछ हुआ है तो उन्हें काफी क्रोध आया और द्रोपति ने संपूर्ण कुत्ता प्रजाति को यह शराब दे दिया

 कि जिस तरह मुझे आज किसी ने सहवास करते हुए देखा है उसी तरह तुम्हें सारी दुनिया सहवास करते हुए देखेगी

और उसी दिन से द्रोपदी के श्राप के कारण ही कुत्तों को सहवास करते हुए सारा जमाना देखता है यार वह सबके सामने सहवास करते हैं.