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इंदिरा से राजीव तक, कोई गोलियों से हुआ छलनी तो किसी को रोड पर मिली 'मौत'


31 अक्टूबर देश की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की 33वीं डेथ एनिवर्सरी है।

 इंदिरा को उनके बॉडीगार्ड्स ने गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतारा था। भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ नेताओं की मौत आज तक चर्चा का विषय बनी हुई है।

कुछ ऐसे ही नेताओं और उनकी डेथ के बारे में अपने रीडर्स को बता रहा है। कुछ को गोलियों से छलनी किया गया, वहीं कुछ नेता की रोड एक्सिडेंट में डेथ हुई।
30 गोलियों से छलनी हुईं थीं इंदिरा
- हर रोज की तरह 31 अक्टूबर 1984 की सुबह 9.20 पर इंदिरा गांधी नई दिल्ली के सफदरजंग रोड स्थित आवास से निकली थीं। उन्हें ब्रिटिश एक्टर पीटर उस्तिनोव से मुलाकात करने जाना था। वो आइरिश टीवी के लिए उन एक डॉक्यूमेंटरी बनाने के लिए दिल्ली आया था।
- इंदिरा 1 अकबर रोड ऑफिस की तरफ जाने के लिए निकलीं। वो अपने आवास में बने गार्डेन से गुजर रही थीं। वहीं उनके गार्ड सतवंत सिंह और बेअंत सिंह भी तैनात थे।
- जैसे ही इंदिरा उनके पास पहुंचीं, वैसे ही सब-इंस्पेक्टर बेअंत सिंह ने 0.38 रिवॉल्वर से उन पर हमला कर दिया। उसने उन्हें तीन गोलियां मारीं। अचानक हुए इस हमले से वो जमीन पर नीचे गिर गईं।
- इसके साथ ही दूसरे गार्ड सतवांत सिंह ने अपनी स्टर्लिंग सबमशीन गन से इंदिरा पर 30 राउंड गोलियां दागीं।
- इंदिरा को मारी गईं 33 गोलियों में से उन्हें 30 लगी थीं। इन 30 गोलियों में से 23 उनकी बॉडी के आरपार हो गईं थीं, जबकि 7 उनके शरीर के अंदर ही रह गई थीं।
10 मिनट में हॉस्पिटल पहुंचाई गईं थीं इंदिरा
- इंदिरा गांधी पर सुबह 9.20 पर हमला हुआ था। महज 10 मिनट के अंदर उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया गया था।
- दोपहर 2.20 बजे डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित किया था।
- 1 नवंबर को उनके पार्थिव शरीर को तीन मूर्ति भवन लाया गया। उनका अंतिम संस्कार 3 नवंबर को राज घाट पर हुआ था।




डकैत से नेत्री बनीं फूलन देवी का मर्डर आज भी चर्चा में रहता है। सरेंडर के बाद उनसे शादी करने वाले उमेद सिंह ने उनके मर्डर के दिन का हाल बताया था।

25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा डकैत से MP बन चुकी फूलन देवी से मिलने दिल्ली स्थित आवास आया था। पति उमेद के मुताबिक फूलन को कुकिंग का शौक था। उस दिन उसने फोन करके सभी को घर पर खीर खाने बुलाया था। उन मेहमानों में शेर सिंह राणा भी शामिल था। उसने पहले खीर खाई, फिर फूलन को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया।
फूलन देवी की बहन के मुताबिक पुलिस को स्पॉट पर पहुंचने में 20 मिनट का समय लगा था। खून से लथपथ फूलन को उसके परिजन एक मारुति कार में लेकर हॉस्पिटल पहुंचे थे, जहां उन्हें डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया था।



यूपी के गाजीपुर में जन्मे कृष्णानंद राय 2002 में मोहम्मदाबाद से बीजेपी एमएलए चुने गए थे। इसी साल उनकी वाइफ अल्का राय उसी सीट से चुनाव जीती हैं। इनके मर्डर केस में मुख्तार अंसारी जेल में सजा काट रहे हैं।
ऐसे हुई थी मौत
29 नवंबर 2005 को राय गाजीपुर में एक शादी अटैंड करने गए थे। एसटीएफ ने उन्हें उनके खिलाफ हो रही मर्डर प्लानिंग के बारे में अलर्ट कर दिया था। इसी वजह से वे बुलेटप्रूफ गाड़ियों का यूज करते थे।
शादी के दौरान किसी ने उनसे सियारी में एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने की रिक्वेस्ट की। रिक्वेस्ट करने वाले ने उनसे यह भी कहा कि वे मैच के लिए अपनी बुलेटप्रूफ गाड़ी से न आएं। वो उसकी बातों में आ गए।
राय मैच के उद्घाटन के बाद अपने घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में उनके काफिले पर हमला हुआ।
हमलावरों ने कृष्णानंद राय पर एके-47 राइफलों से हमला किया था। उस हमले में राय समेत 7 लोगों की हत्या हुई थी।


इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी की डेथ आज भी चर्चा में रहती है। 21 मई 1991 को चेन्नई के निकट स्थित श्रीपेरम्बुदुर में एक सुसाइड बॉम्बर ने राजीव की जान ली थी।
ऐसे हुई थी मौत
राजीव गांधी श्रीपेरम्बुदुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे थे। 21 मई 1991 की सुबह वे चेन्नई पहुंचे थे। वहां दो घंटे रहने के बाद वे एंबेसेडर कार से श्रीपेरम्बुदुर के लिए रवाना हुए थे।
राजीव कार से उतरकर मंच की तरफ बढ़ रहे थे। वहां उन्हें स्पीच देनी थी। रास्ते में उनके समर्थक उन्हें फूल माला पहनाकर सम्मान दे रहे थे। शाम 8.20 पर एक महिला उनकी तरफ बढ़ी। उसने उनके पैर छुए और वैसे ही ब्लास्ट हो गया।
उस महिला ने अपनी कमर में आरडीएक्स से भरी बेल्ट पहन रखी थी। उस ब्लास्ट में राजीव गांधी, वो सुसाइड बॉम्बर महिला समेत 16 लोगों की मौत हुई थी।
ऐसे हुई थी सुसाइड बॉम्बर की पहचान
उस ब्लास्ट में एक लोकल फोटोग्राफर की भी मौत हुई थी। उसने राजीव गांधी का पैर छूने वाली उस महिला की फोटो क्लिक की थी।
ब्लास्ट में वो तो मर गया, लेकिन उसका कैमरा और रील सुरक्षित रहे। उसके द्वारा खींची गईं फोटो से हमलावर की पहचान हुई थी।