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यहां शादियों में घोड़ी नहीं चढ़ पा रहे दूल्हे, जानें क्यों यूं बरात निकालने हुए मजबूर




 घोड़े-घोड़ियों से इंसानों को ग्लैंडर्स रोग होने की चेतावनी का असर मंगलवार को देवउठनी एकादशी के अबूझ सावे पर बरातों में देखने को मिला। खतरा भांपते हुए कई दूल्हे घोड़ी के बजाय कार, हाथी, बाइक पर तोरण मारने पहुंचे। हालांकि, कई शादियों में चेतावनी, आग्रह और अपील को नकारते हुए घोड़ी पर बैठने की परंपरा को बादस्तूर निभाया गया।



दरअसल पशुपालन विभाग और राजस्थान टेंट डीलर्स किराया व्यवसाय समिति ने निकासी और बरात में दूल्हों के लिए घोड़ी का उपयोग नहीं करने की अपील की थी इसे देखते हुए बहुत से दूल्हे घोड़ी पर नहीं बैठे।



- नवंबर 2016 में धौलपुर से फैला यह रोग अब तक उदयपुर, राजसमंद, अजमेर सहित अन्य जिलों में 27 घोड़े-घोड़ियों, खच्चरों की जान ले चुका है। यह रोग मनुष्यों में भी तेजी से फैल सकता है।
- देश-दुनिया में अभी तक ग्लैंडर्स रोग का इलाज उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस समय शादियों में इनका उपयोग न करें।



घोड़ियों से इंसानों को रोग होने का खतरा होने से राजस्थान टेंट डीलर्स किराया व्यवसाय समिति ने पूरे राजस्थान में बारातों में घोड़े-घोड़ी सप्लाई करने पर रोक लगा दी है।


- प्रदेशाध्यक्ष रवि जिंदल ने बताया कि सभी जिलाध्यक्षों व महामंत्रियों से आग्रह किया है कि शादी-बारातों में घोड़े-घोड़ियों का उपयोग नहीं करने के प्रयास किए जाएं। साथ ही इस रोग के बारे में अपने क्लाइंट को आगाह करें और बारात में घोड़े-घोड़ी का उपयोग नहीं करने की सलाह दें।