लड़ने से पहले बिदक गया भैंसा, लोगों ने भाग कर बचाई जान
शिमला के मशोबरा में सायर मेले में शनिवार को मेला कमेटी ने कायदे कानूनों को ताक पर रखकर आखिरकार भैंसों की लड़ाई करवा ही दी। मशोबरा से करीब दो किमी दूर तलाई स्थित माता भद्रकाली के प्रांगण में भैंसे लड़वाए गए। इस दौरान गाड़ी में लाया गया भैंसा बिदक गया और और लाेगों को रोंदने लगा। आयोजक भी अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे। बाद में इस भैंसे को जंगल में काबू किया गया।
-मेला कमेटी ने भैंसों की लड़ाई को प्राचीन परंपरा और आस्था का नाम दिया, लेकिन कोर्ट के आदेशों की सरेआम अवमानना हो गई।
-माता भद्रकाली के प्रागंण में आयोजित मेले में 3 बजकर 15 मिनट में बगहली के बलदेव और कंडा घणाहट्टी के अमर सिंह अपने भैंसों को लेकर मैदान में पहुंचे। दोनों भैंसे आपस में मिले। 3 बजकर 18 मिनट में दोनों में लड़ाई शुरू हुई। दो से तीन मिनट में मुकाबला खत्म हो गया।
-इससे पहले 2 बजकर 56 मिनट पर दाहली के परस राम शालाघाट के मस्त राम के भैंसे लड़वाने के लिए मैदान में लाए गए, पर दोनों नहीं लड़े। बगहली के बलदेव और नीम के देवी राम के भैंसे भी नहीं लड़े।
-दोनों को आपस में लड़वाने के लिए भैंसा मालिकों व मेला कमेटी के सदस्यों के बीच 10 मिनट तक मैदान में संघर्ष चलता रहा। फिर दोनों वापस भेज दिए गए। साढ़े तीन बजे के बाद फिर से भैंसे लड़वाए गए। करीब 16 भैंसे लाए गए थे।

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