इस शख्स ने इजरायल में PM संग खिंचवाई फोटो, लालटेन में की पढ़ाई
कानपुर के सत्य प्रकाश ने हाइफा युनिवर्सिटी में पीएम मोदी के सामने गणित विषय का प्रतिनिधित्व किया।
घर में पिता जी के अनुशासन और दीदी के सख्ती ने कानपुर देहात के अकबरपुर थाना अंतर्गत रहने वाले सत्य प्रकाश सिंह को इजराइल के हाइफा युनिवर्सिटी तक पहुंचा दिया। आईआईटी दिल्ली से मैथ में एमएससी करने के साथ स्टैटिक्स में आईआईटी कानपुर से एमएससी कर हाइफा युनिवर्सिटी पहुंचे। वहां से पीएचडी कर रहे सत्य प्रकाश सिंह ने इजरायल दौरे पर गए पीएम मोदी के सामने गणित विषय का प्रतिनिधित्व किया।
लालटेन में की 8 वीं तक पढ़ाई...
- डॉ. सत्य प्रकाश सिंह के पिता राजा बाबू कुशवाहा ने बताया, कि ''लोदीपुर गांव में उनका पुस्तैनी घर है। गांव में बिजली 12 साल पहले आई, वो भी तब जब गांव अम्बेडकर गांव घोषित हुआ।''
- वही सत्य प्रकाश सिंह की मां ने बताया, कि ''उनके सभी बच्चों की पढ़ाई की शुरुवात गांव के प्राइमरी स्कूल से की है। उसके बाद कक्षा 5 से 8 तक बच्चे हाइवे के बगल में स्थित एक गांव में मौजूद जिला विद्यालय में पढ़ाई की है।''
- ''उनदिनों गांव में बिजली नहीं हुआ करती थी, ऐसे में शाम को बच्चों को पढ़ने के लिए एक लालटेन जला कर दे देती थी। उस लालटेन के चारो तरफ बैठकर बच्चे एक साथ पढ़ाई करते थे।''
- बताया, कि ''सत्य प्रकाश ने 8वीं तक लालटेन में ही पढ़ाई की है। हाइवे से लोदीपुर गांव के बीच पहले कच्ची सड़क थी। उसके अगल बगल में खेत थे। बारिश के दिनों में वहा पानी लग जाता था। जिसकी वजह से लोग कही जाते नहीं थे।''
- ''ऐसे में सत्य प्रकाश सिंह और धर्म प्रकाश सिंह पढ़ने जाने के लिए पानी में होकर जाते थे, वो अपने बस्ते सिर पर रख लेते थे। इसी तरह से वो स्कूल से घर वापस आते थे।''
पिता जी का था घर में अनुशासन तो बड़ी बेटी का था डर
- सत्य प्रकाश के पिता जी ने बताया, कि ''साल 1971 में उन्होंने कानपुर के आजादनगर में मौजूद बाल विद्यालय में एक अध्यापक के रूप में ज्वाइन किया था। साल 1996 में वो प्रधानाचार्य बनें। वो अध्यापन की वजह से कानपुर में ही रहते थे। हफ्ते में एक दिन घर आते थे।''
- ''घर में अनुशासन बनाकर रखा था। सुबह 4 बजे सभी बच्चे उठ जाते थे। घर में इन्होंने 2 मवेशी भी पाल रखे थे। जिसे नहलाना और चारा देने के साथ उस स्थान की साफ़ सफाई करने की जिम्मेदारी तीनो भाइयों पर थी।''
- ''घर का सारा काम लड़कियों के जिम्मे था।'' वही मां शकुन्तला देवी ने बताया, कि ''इनकी सबसे बड़ी बेटी सुषमा सभी भाई बहनों का ध्यान रखती थी। ज़रा सी भी शरारत करने पर वो पीटने भी संकोच नहीं करती थी। सभी भाई बहन सुषमा से डरते थे।''
- मां ने बताया, कि ''ज्ञान प्रकाश को छोड़कर अगर सत्य प्रकाश और धर्म प्रकाश को कही जाना होता तो वो हमसे पूछने के बजाय अपनी दीदी की इजाजत लेकर जाते थे।''
ट्विन्स है सत्य प्रकाश सिंह
- डॉ. सत्य प्रकाश सिंह के माता पिता आज भी कानपुर देहात के लोदीपुर गांव में रहते है। 21 सितम्बर 1985 में जन्में डॉ. सत्य प्रकाश सिंह की 4 बहन और 3 भाई है।
- इनकी मां शकुंतला देवी ने Dainikbhaskar.com से बात करते हुए बताया कि सत्य प्रकाश और धर्म प्रकाश ट्विन्स है। धर्म प्रकाश 15 मिनट बड़ा है जबकि ज्ञान प्रकाश सबसे बड़े है। जबकि सभी भाई बहनो में सुषमा सभी भाई बहनो में बड़ी है।
किताबों को बनाया था अपना दोस्त
- पिता आरबी कुशवाहा ने बताया, कि ''गांव से 8वीं की पढ़ाई करने के बाद तीनों लड़के आगे की पढ़ाई करने के लिए कानपुर आ गए। तीनों बच्चों ने बाल विद्यालय जिसका नाम सरयू नारायण बाल विद्यालय हो गया था, वहां से 9वीं और 10वीं की पढ़ाई पूरी की।''
- ''बड़े बेटे ज्ञान और धर्म ने पीपीएन कॉलेज से बीएससी की तो सत्य प्रकाश ने वीएसएसडी से बीएससी की। इसके बाद सत्य प्रकाश ने गेट पास कर दिल्ली आईआईटी से मैथ में एमएससी किया, वहां के बाद आईआईटी कानपुर से सांख्यिकी में एमएससी किया।''
- पिता ने बताया, कि ''सत्य प्रकाश को बचपन से ही मैथ के प्रति बेहद लगाव था। वो घूमने या दोस्त बनाने के बजाय किताबों को अपना दोस्त बना लिया था। जबकि हमनें कभी अपने बच्चों पर कभी किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला।
- ''आईआईटी कानपुर से सांख्यिकी में एमएससी करने के बाद सत्य प्रकाश पीएचडी के लिए पहले नीदरलैंड गए थे, मगर वहा के एक युनिवर्सिटी में इंटरव्यू देकर वापस आ गए।''
- ''इसके बाद हाइफा युनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए कोशिश किया और उसमें कामयाब हो गया, जिसके बाद सितम्बर 2016 में सत्य प्रकाश पीएचडी करने के लिए हाइफा युनिवर्सिटी चला गया।''
पूरे गांव में पहले छात्र बने विदेश में पढ़ाई करने वाले
- सत्य प्रकाश के साथ बचपन से खेले और बड़े हुए उनके दोस्त शिवाकांत ने बताया, कि ''सत्य को बचपन से ही पढ़ने में एक अलग तरह की रूचि थी। क्लास में वो अकेला स्टूडेंट होता था। जिसे पहाड़ा ( टेबल ) और गिनती पूरा या रहता था। किताबों के सवाल वो फ़टाफ़ट हल कर देता था। पढ़ने के बाद अगर वो कुछ खेलता था तो वह था क्रिकेट।''
- बताया कि, ''क्रिकेट वो बहुत मन से खेलता था, झूठ वो कभी नहीं बोलता था। उसके सच बोलने से कई बार उसके साथ के पढ़ने वाले कई छात्र सर से मार भी खा जाते थे। वो हमेशा कहता था कि वो विदेश में जाकर पढ़ाई करेगा, तब हम सबको ये मजाक लगता था। मगर आज उसने अपनी कही हुई बात सच साबित कर दी।''
घर में पिता जी के अनुशासन और दीदी के सख्ती ने कानपुर देहात के अकबरपुर थाना अंतर्गत रहने वाले सत्य प्रकाश सिंह को इजराइल के हाइफा युनिवर्सिटी तक पहुंचा दिया। आईआईटी दिल्ली से मैथ में एमएससी करने के साथ स्टैटिक्स में आईआईटी कानपुर से एमएससी कर हाइफा युनिवर्सिटी पहुंचे। वहां से पीएचडी कर रहे सत्य प्रकाश सिंह ने इजरायल दौरे पर गए पीएम मोदी के सामने गणित विषय का प्रतिनिधित्व किया।
लालटेन में की 8 वीं तक पढ़ाई...
- डॉ. सत्य प्रकाश सिंह के पिता राजा बाबू कुशवाहा ने बताया, कि ''लोदीपुर गांव में उनका पुस्तैनी घर है। गांव में बिजली 12 साल पहले आई, वो भी तब जब गांव अम्बेडकर गांव घोषित हुआ।''
- वही सत्य प्रकाश सिंह की मां ने बताया, कि ''उनके सभी बच्चों की पढ़ाई की शुरुवात गांव के प्राइमरी स्कूल से की है। उसके बाद कक्षा 5 से 8 तक बच्चे हाइवे के बगल में स्थित एक गांव में मौजूद जिला विद्यालय में पढ़ाई की है।''
- ''उनदिनों गांव में बिजली नहीं हुआ करती थी, ऐसे में शाम को बच्चों को पढ़ने के लिए एक लालटेन जला कर दे देती थी। उस लालटेन के चारो तरफ बैठकर बच्चे एक साथ पढ़ाई करते थे।''
- बताया, कि ''सत्य प्रकाश ने 8वीं तक लालटेन में ही पढ़ाई की है। हाइवे से लोदीपुर गांव के बीच पहले कच्ची सड़क थी। उसके अगल बगल में खेत थे। बारिश के दिनों में वहा पानी लग जाता था। जिसकी वजह से लोग कही जाते नहीं थे।''
- ''ऐसे में सत्य प्रकाश सिंह और धर्म प्रकाश सिंह पढ़ने जाने के लिए पानी में होकर जाते थे, वो अपने बस्ते सिर पर रख लेते थे। इसी तरह से वो स्कूल से घर वापस आते थे।''
पिता जी का था घर में अनुशासन तो बड़ी बेटी का था डर
- सत्य प्रकाश के पिता जी ने बताया, कि ''साल 1971 में उन्होंने कानपुर के आजादनगर में मौजूद बाल विद्यालय में एक अध्यापक के रूप में ज्वाइन किया था। साल 1996 में वो प्रधानाचार्य बनें। वो अध्यापन की वजह से कानपुर में ही रहते थे। हफ्ते में एक दिन घर आते थे।''
- ''घर में अनुशासन बनाकर रखा था। सुबह 4 बजे सभी बच्चे उठ जाते थे। घर में इन्होंने 2 मवेशी भी पाल रखे थे। जिसे नहलाना और चारा देने के साथ उस स्थान की साफ़ सफाई करने की जिम्मेदारी तीनो भाइयों पर थी।''
- ''घर का सारा काम लड़कियों के जिम्मे था।'' वही मां शकुन्तला देवी ने बताया, कि ''इनकी सबसे बड़ी बेटी सुषमा सभी भाई बहनों का ध्यान रखती थी। ज़रा सी भी शरारत करने पर वो पीटने भी संकोच नहीं करती थी। सभी भाई बहन सुषमा से डरते थे।''
- मां ने बताया, कि ''ज्ञान प्रकाश को छोड़कर अगर सत्य प्रकाश और धर्म प्रकाश को कही जाना होता तो वो हमसे पूछने के बजाय अपनी दीदी की इजाजत लेकर जाते थे।''
ट्विन्स है सत्य प्रकाश सिंह
- डॉ. सत्य प्रकाश सिंह के माता पिता आज भी कानपुर देहात के लोदीपुर गांव में रहते है। 21 सितम्बर 1985 में जन्में डॉ. सत्य प्रकाश सिंह की 4 बहन और 3 भाई है।
- इनकी मां शकुंतला देवी ने Dainikbhaskar.com से बात करते हुए बताया कि सत्य प्रकाश और धर्म प्रकाश ट्विन्स है। धर्म प्रकाश 15 मिनट बड़ा है जबकि ज्ञान प्रकाश सबसे बड़े है। जबकि सभी भाई बहनो में सुषमा सभी भाई बहनो में बड़ी है।
किताबों को बनाया था अपना दोस्त
- पिता आरबी कुशवाहा ने बताया, कि ''गांव से 8वीं की पढ़ाई करने के बाद तीनों लड़के आगे की पढ़ाई करने के लिए कानपुर आ गए। तीनों बच्चों ने बाल विद्यालय जिसका नाम सरयू नारायण बाल विद्यालय हो गया था, वहां से 9वीं और 10वीं की पढ़ाई पूरी की।''
- ''बड़े बेटे ज्ञान और धर्म ने पीपीएन कॉलेज से बीएससी की तो सत्य प्रकाश ने वीएसएसडी से बीएससी की। इसके बाद सत्य प्रकाश ने गेट पास कर दिल्ली आईआईटी से मैथ में एमएससी किया, वहां के बाद आईआईटी कानपुर से सांख्यिकी में एमएससी किया।''
- पिता ने बताया, कि ''सत्य प्रकाश को बचपन से ही मैथ के प्रति बेहद लगाव था। वो घूमने या दोस्त बनाने के बजाय किताबों को अपना दोस्त बना लिया था। जबकि हमनें कभी अपने बच्चों पर कभी किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला।
- ''आईआईटी कानपुर से सांख्यिकी में एमएससी करने के बाद सत्य प्रकाश पीएचडी के लिए पहले नीदरलैंड गए थे, मगर वहा के एक युनिवर्सिटी में इंटरव्यू देकर वापस आ गए।''
- ''इसके बाद हाइफा युनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए कोशिश किया और उसमें कामयाब हो गया, जिसके बाद सितम्बर 2016 में सत्य प्रकाश पीएचडी करने के लिए हाइफा युनिवर्सिटी चला गया।''
पूरे गांव में पहले छात्र बने विदेश में पढ़ाई करने वाले
- सत्य प्रकाश के साथ बचपन से खेले और बड़े हुए उनके दोस्त शिवाकांत ने बताया, कि ''सत्य को बचपन से ही पढ़ने में एक अलग तरह की रूचि थी। क्लास में वो अकेला स्टूडेंट होता था। जिसे पहाड़ा ( टेबल ) और गिनती पूरा या रहता था। किताबों के सवाल वो फ़टाफ़ट हल कर देता था। पढ़ने के बाद अगर वो कुछ खेलता था तो वह था क्रिकेट।''
- बताया कि, ''क्रिकेट वो बहुत मन से खेलता था, झूठ वो कभी नहीं बोलता था। उसके सच बोलने से कई बार उसके साथ के पढ़ने वाले कई छात्र सर से मार भी खा जाते थे। वो हमेशा कहता था कि वो विदेश में जाकर पढ़ाई करेगा, तब हम सबको ये मजाक लगता था। मगर आज उसने अपनी कही हुई बात सच साबित कर दी।''


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