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रेत में दबा रूस का यह गांव, ऐसी है यहां के लोगों की लाइफ


केनिल पेनिनसुला में स्थित इस गांव का नाम शोयना है, जो रेत के ढेर में दबा रहता है।

 रूस के अधिकतर इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ती है, लेकिन यहां के एक गांव के बारे में जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। केनिल पेनिनसुला में स्थित इस गांव का नाम शोयना है, जो रेत के ढेर में दबा रहता है। इसके बावजूद यहां सैकड़ों की तादात में लोग रहते हैं। 1930 में आया था अस्तित्व में...

- शोयना गांव 1930 में अस्तित्व में आया था। समुद्र किनारे बसा यह गांव दूसरे गांवों की तरह नॉर्मल था।

- यहां बाग-बगीचे और काफी संख्या में पेड़ भी थे। गांव के लोग खेती-किसानी से लेकर पशुपालन भी करते थे।
- लेकिन, 1950 के दशक में समुद्र तट पर आए तूफान से गांव पर रेत की चादर बिछ गई।

- गांव के लोग बताते हैं कि इसके बाद से यहां अक्सर तूफान आता रहता है और घर रेत में दब जाते हैं।
- रेत के चलते यहां धीरे-धीरे सबकुछ खत्म होता चला गया। अब यहां चारों तरफ बस रेत का ही साम्राज्य है।
- इस इलाके में चलने वाली तेज पश्चिमी हवाओं से रेत के टिब्बे बनते-बिगड़ते रहते हैं और अक्सर अपनी जगह बदल लेते हैं।

- सफेद सागर के तटवर्ती इलाके में फैले इस रेगिस्तान में रेत इतनी बुरी तरह से उड़ती है कि एक ही रात में इस इलाके में बसे घर रेत के टीलों में दब जाते हैं।
लोग नहीं जाना चाहते गांव छोड़कर

- गांव में रहने वाले मोजेस बताते हैं कि हम लोग इस गांव को बहुत पसंद करते हैं। गांव में करीब 400 लोग रहते हैं और कोई भी गांव छोड़कर नहीं जाना चाहता। हमने इस दौर में भी जीना सीख लिया है।

- लोग दूर-दराज के इलाकों में जाकर खेती-किसानी और पशुपालन करते हैं। इसके अलावा यहां अधिकतर लोग मछली पकड़ते हैं।
रात को दरवाजा रखना पड़ता है खुला

- मोजेस बताते हैं कि गांव के लोग रात को सोने से पहले बाहर के कमरे के दरवाजे खुले रखते हैं, क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि उनका घर रेत में दब जाता है। तब दरवाजे को खोलना मुश्किल हो जाता है।