कंजूसी के लिए फेमस रहा ये एक्टर, जब बंगला बिका तो रोया था फूट-फूटकर
बॉलीवुड में जुबली हीरो के नाम से फेमस राजेंद्र कुमार की आज 18वीं डेथ एनिवर्सरी है।
बॉलीवुड में जुबली हीरो के नाम से फेमस राजेंद्र कुमार की आज 18वीं डेथ एनिवर्सरी (12 जुलाई, 1999) है। कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाले राजेंद्र कुमार कंजूसी के लिए फेमस थे। वे न तो दोस्तों पर और न खुद पर पैसा खर्च करते थे, इसलिए इंडस्ट्री के लोग उन्हें कंजूस कहते थे। कहते हैं जब उनकी माली हालत खराब हुई तो उन्होंने अपना लकी बंगला जिसका नाम 'डिंपल' था, राजेश खन्ना को बेचा था। जानकारों का कहना है कि जिस रात उन्हें ये बंगला छोड़कर जाना पड़ा था उस रात वे फूट-फूटकर राए थे। 50 रुपए लेकर मुंबई पहुंचे थे हीरो बनने...
राजेंद्र कुमार को फिल्मों में काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। वे हीरो बनने का ख्वाब लिए जिस वक्त मुंबई आए थे, उस समय उनके जेब में मात्र 50 रुपए थे, जो उन्हें पिता से मिली घड़ी को बेचकर मिले थे। गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से उनको 150 रुपए सैलरी पर डायरेक्टर एचएस रवैल के सहायक निर्देशक के तौर पर काम मिला था। 1950 में आई फिल्म 'जोगन' में राजेन्द्र कुमार को काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनके साथ दिलीप कुमार लीड रोल में थे। 1950 से 1957 तक राजेन्द्र कुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। 1957 में आई फिल्म 'मदर इंडिया' में छोटे से रोल के बावजूद उन्होंने पसंद किया गया।
'गूंज उठी शहनाई' पहली हिट फिल्म
1959 में आई फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' बतौर लीड एक्टर राजेन्द्र कुमार की पहली हिट साबित हुई थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 'धूल का फूल' (1959), 'मेरे महबूब' (1963), 'आई मिलन की बेला' (1964), 'संगम' (1964), 'आरजू' (1965), 'सूरज' (1966) आदि सफल फिल्मों में काम किया है। फिल्मों की कामयाबी को देखते हुए उनके फैन्स ने उनका नाम 'जुबली कुमार' रख दिया था। 1970 के बाद राजेन्द्र कुमार का स्टारडम गिरने लगा था।
छोड़ना पड़ा था लकी बंगला
70 के दौर में जुबली हीरो का रंग फीका पड़ने लगा। उनकी माली हालत भी खराब होने लगी। अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राजेन्द्र कुमार को अपना बंगला 'डिंपल' बेचना पड़ा था। बता दें कि 1960 के शुरुआत में राजेन्द्र कुमार ने बांद्रा के कार्टर रोड पर समुद्र किनारे बने इस बंगले को 60 हजार रुपए में एक्टर भारत भूषण से खरीदा था। उन्होंने इसे नया रूप देकर इसका नाम अपनी बेटी 'डिंपल' के नाम पर रख था। इस बंगले में आते ही राजेन्द्र कुमार को सफलता मिलनी शुरू हो गई थी। इससे यह बंगला लकी माना जाता था। राजेश खन्ना को जब यह पता लगा कि राजेन्द्र कुमार इसे बेच रहे हैं तो उन्होंने इसे तुरंत खरीदने का फैसला कर लिया था। इस बंगले के लिए राजेश खन्ना ने राजेंद्र कुमार को 3.5 लाख रुपए अदा किए थे। यूं राजेंद्र कुमार के पास तब पाली हिल पर अपना एक और बंगला था और वे इसी में शिफ्ट हुए थे। लेकिन जानकार बताते हैं जिस दिन उन्होंने अपना ये लकी बंगला छोड़ा था उस रात वे फूट फूट कर रोए थे।
सायरा बानो से था अफेयर
राजेंद्र कुमार ने सबसे ज्यादा हिट फिल्में 'आई मिलन की बेला' (1964), 'झुक गया आसमान' (1968), 'अमन' (1967) सायरा बानो के साथ की थी। कहा जाता है कि एक साथ स्क्रीन शेयर करने के दौरान दोनों को प्यार हो गया था और शादी भी करना चाहते थे। लेकिन इस शादी से राजेंद्र की पत्नी शुक्ला को परेशानी हो रही थी। इसलिए राजेंद्र कुमार ने सायरा बानो की मां नसीम बानो से मुलाकात की और उन्हें अपने अफेयर के बारे बताया। इसके बाद नसीम बानो ने दिलीप कुमार से मुलाकात की और सायरा बानो की शादी उनसे करा दी।
गीता के साथ दोबारा नहीं किया काम
फिल्म 'वचन' (1995) भाई-बहन के रिश्ते और एक-दूसरे को दिए वचन पर आधारित थी। इस फिल्म में गीता बाली, राजेंद्र की बहन बनी थीं। इस किरदार को राजेंद्र ने दिल से निभाया और मन से गीता को अपनी बहन मानने लगे थे। इस फिल्म के बाद गीता बाली, राजेंद्र कुमार के साथ काम करना चाहती थीं। चूंकि, राजेंद्र कुमार उन्हें अपनी बहन मानते थे और वे उनके साथ फिल्मों में रोमांस नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उनके साथ काम करने से मना कर दिया।
निकाल दिया था 'सत्यम शिवम सुंदरम' से
फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' के निर्देशक राज कपूर, राजेंद्र कुमार को लीड रोल में लेना चाहते थे। लेकिन जब राज कपूर ने फिल्म की स्क्रिप्ट उन्हें सुनाई तो, इस पर राजेंद्र कुमार ने कहा कि इसको मत बनाओ ये फिल्म नहीं चलेगी। उनकी बातों को अनसुना करके राज कपूर ने स्क्रिप्ट से ही राजेंद्र कुमार को बाहर निकाल दिया और शशि कपूर को लेकर फिल्म बनाई। फिल्म हिट रही थी।
काट ली थी अमृता सिंह की फीस
एक्टर के रूप में राजेंद्र कुमार की पहली फिल्म 'वचन' के प्रीमियर के समय जब उनसे पूछा गया कि उनकी पहचान वाले कितने लोगों के लिए सीट्स बुक करनी है, तो उन्होंने कहा था 10 लोगों के लिए। दरअसल, राजेंद्र को लगा कि ये फ्री में है, लेकिन जब बाद में उनकी फीस में से रुपए काट लिए गए थे। तब उनको पता चला कि प्रीमियर की सीट्स फ्री में नहीं थी। इस घटना को उन्होंने सीख माना। आगे जाकर जब उन्होंने फिल्म 'नाम' बनाई, उस वक्त एक्ट्रेस अमृता सिंह की फीस में इसलिए रुपए काट लिए थे क्योंकि अमृता ने शूटिंग के दौरान हॉन्ग-कॉन्ग से खूब कॉल्स किए थे।


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