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रावण ले जाना चाहता था इस शिवलिंग को अपने साथ, ऐसी है पूरी कहानी

 Baba Vaidyanath Dham Story Devghar Jharkhand
10 जुलाई से सावन का पवित्र माह शुरू हो रहा है। ऐसे में यहां देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में अभी से ही उत्साह का माहौल देखा जा रहा है। सावन में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक बाबा वैद्यनाथ धाम में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है। यहां स्थित शिवलिंग को 'मनोकामना लिंग' भी कहते हैं। कहा जाता है कि रावण इस शिवलिंग को अपने साथ ले जा रहा था पर ऐसा हो न सका। रावण काट रहा था अपना सिर

-एक बार रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिए घोर तपस्या की। इस दौरान अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिए।
-एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवां सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रकट हो गए। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिए और उससे वरदान मांगने को कहा।
-रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिए उसे ले जाने की आज्ञा मांगी। शिवजी ने अनुमति दे दी।
-पर उन्होंने रावण को यह भी कहा कि यदि रास्ते में इसे पृथ्वी पर रख दिया तो वह वहीं अचल हो जाएगा। रावण शिवलिंग लेकर चला पर रास्ते में उसे लघुशंका लग गई।
चरवाहे को दे दिया शिवलिंग
-रावण उस लिंग को एक चरवाहे को थमा लघुशंका के लिए चल पड़ा। इधर, शिवलिंग के काफी भारी होने की वजह से चरवाहे ने उसे जमीन पर रख दिया।
-फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका। निराश होकर रावन ने मूर्ति पर अपना अंगूठा गड़ाकर लंका को चला गया।
-इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी-देवताओं ने शिवलिंग की वहीं उसी स्थान पर प्रतिस्थापना कर दी, जिसे लोग आज बाबा वैद्यनाथ धाम के नाम से जानते हैं।