क्या आप जानते हैं अर्थी में इस्तेमाल होने वाली बांस की लकड़ी को क्यों नहीं जलाया जाता !
हमारे देश में कहीं तरह के रीति रिवाज हैं हिंदू के अलग, मुस्लिम के अलग, इसाई के अलग सब अपने-अपने धर्म के अनुसार कार्य करते हैं हमारे हिंदू धर्म में जिस व्यक्ति की मौत हो जाती हैं, उन्हें बांस की सीढ़ी टाइप की अर्थी बनाकर उसमें लेटाकर ले जाया जाता हेै,
और शमशान में जलाया जाता हैं, लेकिन क्या आपने एक बात पर गौर किया हैं कि अर्थी को कभी भी जलाया नहीं जाता हैं, उसे शमशान पहुंचनें के बाद फेंक दिया जाता हैं, ऐसा क्यों होता हैं या फिर ऐसा क्यों किया जाता हैं, शायद आप नहीं जानते होंगे आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है।
शास्त्रों के अनुसार अगर हम बात करें तो कई वृक्षों की पूजा का महत्व हैं जिसमें पीपल का वृक्ष मुख्य रूप से आता है। वहीं ऐसा माना जाता हैं कि हमेशा सुगंध देने वाली चीजें जलानी चाहिए। लेकिन शास्त्रों में बांस की लकड़ी जलाना विशेष रूप से वर्जित है। ऐसा करने से पितृ दोष को जगाने वाला कारण माना जाता है।
अगर हम विज्ञान के अनुसार बात करें तो बांस की लकड़ी में लेड और कई प्रकार की धातुएं होती हैं जो जलने के बाद अपने ऑक्साइड बनाते हैं। इससे जलने के बाद जो धुंआ निकलता ही हैं वह सांस के लिए बेहद ही हानिकारक होता है।
ऐसा कहा जाता हैं कि मृत शरीर को उन्हीं लकडिय़ों से जलाना चाहिए जिसके संपर्क में आग्नि जल्द से आ सके। इसलिए पतली लकडिय़ों का इस्तेमाल किया जाता है।अब पता चला आपको कि क्यों बांस की लकड़ी को नहीं जलाया जाता है।


Post a Comment