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सचिन के साथ खेल चुका ये क्रिकेटर आज भी रहता है गांव में, चलाता है सुव


गुजरात के एक छोटे से गांव इखार से निकलकर मुनाफ पटेल ने क्रिकेट में बड़ा नाम कमाया। कभी टीम इंडिया के स्टार बॉलर रहे मुनाफ आज 34वां बर्थडे (12 जुलाई, 1983) सेलिब्रेट कर रहे हैं। कभी स्कूल में पढ़ते हुए वो क्रिकेट भी खेलते थे, लेकिन कभी क्रिकेटर बनना नहीं चाहते थे। गरीबी के कारण परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए मुनाफ ने बचपन में एक मार्बल फैक्ट्री में मजदूरी तक की है। यहां 8 घंटे काम करने के लिए उन्हें 35 रुपए रोज मिलते थे।

गुजरात के इखार गांव में मुनाफ सबसे तेज बॉलिंग करते थे, बावजूद इसके उन्होंने कभी क्रिकेटर बनने का नहीं सोचा। इसका कारण ये था कि वो गरीब घर से थे। क्रिकेट ट्रेनिंग लेने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।
- मुनाफ के पिता दूसरों के खेतों में काम कर पैसे कमाते थे। साल में सिर्फ एक बार ही बच्चों के लिए कपड़े बनते थे। मुनाफ इस गरीबी से परिवार को निकालने चाहते थे, इसलिए उन्होंने ने भी कम उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था।
ऐसे पहुंचे क्रिकेट में
- स्कूल में मुनाफ क्रिकेट खेलते थे और पैसे कमाने के लिए मजदूरी भी। उनके काम करने की बात उनके एक दोस्त ने स्कूल टीचर को बता दी।
- कब टीचर ने मुनाफ से कहा था कि जब पैसे कमाने की उम्र हो तब कमाना, अभी सिर्फ खेल पर ध्यान दो।
- कुछ साल बाद उनकी मुलाकात एक दोस्त यूसुफ से हुई। यूसुफ ही उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए बड़ौदा लेकर आए। चप्पल मे क्रिकेट खेलने वाले मुनाफ को जूते भी यूसुफ ने ही दिलवाए थे और क्रिकेट क्लब में एडमिशन दिलवाया।
पूरे गांव की करते हैं मदद
- 2011 वर्ल्ड कप में सचिन तेंडुलकर और एमएस धोनी जैसे दिग्गजों के साथ खेल चुके मुनाफ पटेल आज भी अपने गांव में ही रहते हैं। वो यहां लोगों की मदद करते हैं।
- गांव में हर कोई आर्थिक मदद के लिए मुनाफ के पास आता है और वो बिना सवाल किए उन्हें पैसे दे देते हैं।
- मुनाफ के अनुसार, ‘यदि हमारे पास कोई मदद के लिए आता है और मैं उससे सवाल पूछूं तो पिता कहते हैं कि सवाल क्यों पूछ रहा है। उससे उसका पेट नहीं भरेगा।’

मुनाफ जब मजदूरी छोड़कर क्रिकेट खेलने लगे तो उनके पिता खुश नहीं थे। पिता चाहते थे कि वो ना सिर्फ उनके साथ काम करें, बल्कि कुछ समय बाद अफ्रीका जाकर पैसे कमाकर लाएं।
- मुनाफ के इखार गांव से हर साल कुछ लोग पैसे कमाने के लिए अफ्रीका जाते थे। मुनाफ के एक रिश्तेदार वहीं रहते थे इसलिए उनके पिता मुनाफ को वहां भेजना चाहते थे।
- मुनाफ ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘इसमें पिता की गलती नहीं थी। गांव में तब शायद ही किसी को पता हो कि क्रिकेट खेलकर पैसा भी कमाया जा सकता है।

2003 में क्रिकेट कोचिंग के दौरान पर मुनाफ पर पूर्व इंडियन क्रिकेटर किरण मोरे की नजर पड़ी। उन्होंने मुनाफ के टैलेंट को पहचानते हुए उन्हें ट्रेनिंग के लिए चेन्नई के एमआरएफ स्कूल भेजा।
- यहां फास्ट बॉलिंग की उन्होंने कई बारीकियां सीखीं। यहां मुनाफ पर दुनिया के दिग्गज क्रिकेटर्स डेनिस लिली और स्टीव वॉ की नजर पड़ी।
इसके बाद मुनाफ पर सचिन तेंडुलकर की नजर पड़ी। सचिन ने ही उन्हें मुंबई रणजी टीम में मौका दिया। मुनाफ को बड़ौदा टीम में जगह नहीं मिली थी। वहीं, अजीत अगरकर के टीम इंडिया में आ जाने के कारण मुंबई को एक स्पेशलिस्ट फास्ट बॉलर की जररूत भी थी।