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चीन से युद्ध रोकने नेहरू ने यहां करवाया था विशेष यज्ञ, 11वें दिन रुकी थी जंग


इंडिया और चीन के बीच एक बार फिर से बॉर्डर विवाद गहरा गया है। एक वक्त ऐसा भी आया था जब दोनों मुल्कों के बीच हुई जंग में भारत ने मप्र के दतिया में स्थित में मां पीतांबरा से मदद की गुहार लगाई थी

बात उन दिनों की है जब भारत और चीन का युद्ध 1962 में प्रारंभ हुआ था।
- मां पीतांबरा के स्वामी जी ने फौजी अधिकारियों एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी का 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था।
- दावा किया जाता है कि 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं।
- उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी है। यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख है।
कारगिल के वक्त भी यहां हुई थी खास पूजा
- जब-जब देश के ऊपर विपत्तियां आती हैं तब-तब कोई न कोई न कोई गोपनीय रूप से मां बगलामुखी की साधना व यज्ञ-हवन अवश्य ही कराते हैं।
- 2000 में कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच पुनः युद्ध हुआ, किंतु हमारे देश के कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त रूप से पुनः साधनाएं एवं यज्ञ किए जिससे दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी।
- ऐसा कहा जाता है कि यह यज्ञ तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बीहारी वाजपेयी के कहने पर यहां कराया गया था।
नेहरू से लेकर प्रणब मुखर्जी तक झुका चुके हैं सिर यहां
- मां पीतांबरा के कदमों में शीश झुकाने वालों में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर अमित शाह, शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया, दिगि्वजय सिंह, उमाभारती, अखिलेश यादव से लेकर संजय दत्त तक का नाम है।
- मान्यता है कि इस स्थान पर आने वाले की मुराद जरूर पूरी होती है, उन्हे राजसत्ता का सुख जरूर मिलता है। मां हर कष्ट से निजात दिला देती हैं।