फ्रेंड की पत्नी की साड़ी में छिपा गैंगस्टर के मर्डर का राज, ये है पूरी कहानी
संजय बिहारी हत्याकांड : जिस साड़ी को पहन कर दीपू की पत्नी आशीर्वाद लेने आई थी, उस ही साड़ी में लिपटा मिला संजय का शव।
संजय बिहारी की हत्या को पांच दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक पूरी वारदात की सही कहानी सामने नहीं आ पा रही है। इस मामले में जहां पुलिस जांच एवं पीसी की बात कर रही है, वहीं परिवार के लोग नित नए राज खोल रहे हैं।
संजय की पत्नी और भाई का दावा है कि वारदात में टीटू और दीपू के साथ दोनों की पत्नियां भी शामिल थीं। जिन का प्रेम विवाह करवाने के लिए संजय दुनिया से लड़ गया था
उस महिलाओं ने भी संजय की बेरहमी से हत्या करने एवं साक्ष्य मिटाने में पूरा साथ दिया है, लेकिन पुलिस इस दिशा में काम ही नहीं कर रही है।महिला का हाथ...
- दूसरी तरफ परिजनों के अनुसार वारदात में शामिल दीपू एवं टीटू की पत्नी से पुलिस पूछताछ भी नहीं कर रही है।
- संजय के परिजनों के अनुसार जबकि हालात बता रहे हैं कि उक्त महिला का हाथ वारदात की योजना बनाने, वारदात को अंजाम देने और वारदात के बाद साक्ष्यों को मिटाने में होने की पूरी संभावना है।
-पुलिस को इनके साथ भी गहनता से पूछताछ करनी चाहिए। साथ ही उन लोगों का पता लगाना होगा, जो इस वारदात में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल है।
दीपू की शादी के लिए सब से भिड़ गया था संजय
- संजय के भाई शेखर कुमार के अनुसार दीपू उर्फ दीपक अरोड़ा ने मई 2017 में प्रेम विवाह किया था।
उसने सवाई माधोपुर के कॉलेज में पढ़ने वाली मीना जाती की लड़की, जो अपने रिश्तेदारों के यहां मीना कॉलोनी में रहती थी, से विवाह किया है।
- इस शादी के पक्ष में न तो लड़की के परिजन थे और न ही उसके समाज के लोग।
संजय ने अपने परम मित्र और विश्वास पात्र दीपू को इस शादी को कानूनी जामा पहनाने की राह दिखाई और रास्ते में आने वाले हर आदमी से अपने स्तर पर निबटने का विश्वास दिलवाया।
- इसके बाद दोनों ने गाजियाबाद में जाकर कोर्ट मैरिज कर ली। दीपू और उसकी पत्नी हमेशा संजय एवं उसके परिवारजनों के पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे।
- संजय के परिजनों के अनुसार दीपू की पत्नी दीपावली के समय संजय एवं उसके मित्रों के घर पर गई थी। उस दिन उसने साड़ी पहन रखी थी। सभी के पैर छू कर आशीर्वाद लिया था।
- शेखर के अनुसार संजय का शव जिस साड़ी में लिपटा हुआ था वह वही साड़ी थी, जो उसने दीपावली के समय संजय के घर आने पर पहन रखी थी।
टोल की पर्ची ने उगलवाया सच
- वारदात को अंजाम देने के बाद टीटू एवं दीपू घटना से अनजान बन कर संजय के परिजनों के साथ रहे, लेकिन वे दोनों परिजनों के शक के दायरे में थे।
- परिजनों ने जब उनको पुलिस के हवाले किया तो पुलिस ने उनकी जेब की तलाशी ली। तलाशी के दौरान टीटू की जेब से काफी सारे पैसे मिले।
- इन पैसों के बीच एक टोल की पर्ची भी मिली, जो जयपुर-टोंक हाइवे पर शिवदासपुरा टोल की थी। उक्त पर्ची पर सुबह लगभग 11:20 का समय जयपुर की तरफ जाने का तथा संजय जिस कार को चला रहा था
उसका नंबर अंकित था। इस पर्ची के मिलने से पहले दोनों उस दिन संजय से मुलाकात की बात से इंकार कर रहे थे, लेकिन पर्ची एवं पैसा मिलने के बाद उन्होंने वारदात की बात मान ली।
- संजय के भाई के अनुसार संजय के पास उस समय 35 हजार रुपए थे, लेकिन पुलिस उनसे पर्ची के साथ मात्र 14 हजार रुपए की बरामद करना बता रही है।
- परिजनों के अनुसार संजय की हत्या से पहले या बाद में उक्त लोगों ने पूरा पैसा लूटा है और गलती से उस में टोल की पर्ची रह गई।
एक ही फ्लैट में पत्नियों के साथ रहते थे दोनों
- परिजनों के अनुसार दोनों आरोपी दीपू एवं टीटू मानसरोवर क्षेत्र में एक ही फ्लैट में रहते थे। उनके साथ उनकी पत्नियां भी रहती थी।
- वारदात के दिन उनकी पत्नी उनके साथ ही थी और संजय की पत्नी द्वारा फोन करने पर दीपू की पत्नी ही फोन उठा रही थी।
जिस समय घटना हुई उसके आसपास के समय में भी वही फोन उठा रही थी और दीपू से बात भी करवा रह थी।
- दूसरी तरफ संजय की पत्नी का कहना है कि दीपावली के समय जब दीपू एवं उसकी पत्नी घर आए थे
तब उसकी पत्नी पूरे घर में घूम घूम कर सभी से मिली और उसका पूरा ध्यान इस बात का पता लगाने पर था कि संजय जयपुर कब आएगा।
आज कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। जो आरोपी पीसी पर है उनसे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ पूरी होने के बाद ही कुछ कह सकते हैं।


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