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इमरजेंसी के दौरान ऐसा था पीएम मोदी का लुक, वेश बदलकर गुजारे थे दिन



 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 67 साल के हो गए। इस मौके पर hum आपको इमरजेंसी के दौरान के मोदी के बारे में बता रहा है। 42 साल पहले जब देश में इमरजेंसी की घोषणा हुई थी तब मोदी 25 साल से भी कम उम्र के थे। इस दौरान उन्होंने एक सरदार का लुक अपनाया था और इसी वेश में उन्होंने कई दिन गुजारे थे।

 गुजरात में आपातकाल विरोधी मुहिम में मोदी ने सक्रियता दिखाई थी। नरेंद्र मोदी गुजरात लोक संघर्ष समिति  का हिस्सा थे।

- संगठन संभालने के उनके कौशल को देखते हुए उन्हें इस समिति का महासचिव बनाया गया। उन्हें राज्य के आंदोलनकारियों को एकजुट करने का टास्क मिला था।

- हालांकि ये बेहद कठिन था लेकिन नरेंद्र मोदी विपरीत परिस्थितियों को हैंडल करना बखूबी जानते थे।



 जिस 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी के खिलाफ कोर्ट का फैसला आया था, उसी दिन ये जानकारी भी आई कि गुजरात में सत्तारूढ़ कांग्रेस विधानसभा चुनावों में हार गई है। - - गुजरात चुनावों में इंदिरा गांधी ने तब खुद को गुजरात की बहू बताकर वोट मांगे थे लेकिन गुजरात की जनता उनके भ्रामक प्रचार में नहीं आई।



- जब आपातकाल लागू किया गया था, उसके बाद केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया।


- प्रतिबंध के तुरंत बाद वरिष्ठ आरएसएस नेता केशव राव देशमुख को गुजरात में अरेस्ट कर लिया गया। इसके बाद ही नरेंद्र मोदी ने आपातकाल के खिलाफ मोर्चा थामा।


- एक तरफ वो पुलिस के लिए वॉन्टेड चल रहे संघ के एक वरिष्ठ नेता नाथा लाल जागडा को स्कूटर पर सुरक्षित ठिकाने ले जा रहे थे तो दूसरी तरफ उन्हें अरेस्ट हुए नेता केशव देशमुख के पास से उन डॉक्युमेंट्स को हासिल करना था जो पुलिस के पास थे।


- नरेंद्र मोदी ने इसे एक चुनौती की तरह लिया और एक स्वयंसेवक बहन की मदद से डॉक्युमेंट्स को हासिल करने का प्लान बनाया।


- प्लान के मुताबिक, ये महिला देशमुख से मिलने के लिए पुलिस स्टेशन गई और उन डॉक्युमेंट्स को पुलिस स्टेशन से ले लिया।


- नरेंद्र मोदी के पास जिम्मेदारी ये भी थी कि कैसे एंटी इमरजेंसी आंदोलनकारियों के गुजरात आने और वहां से बाहर जाने के लिए यात्रा प्रबंध किए जाएं?


- मोदी इस स्तर पर सक्रिय हो चुके थे कि उनके पकड़े जाने का खतरा भी हो सकता था। ऐसे में उन्होंने कई बार अपने वेश भी बदले ताकि पहचान में ना आ सकें। कभी वो एक सीधे-सादे सरदार बन जाते थे तो किसी दिन एक दाढ़ी वाले बुजुर्ग।




 आपातकाल के दौरान मीडिया की स्वतंत्रता छीनी जा चुकी थी। कई जर्नलिस्ट्स को मीसा और डीआईआर के तहत अरेस्ट कर लिया गया था।


- सही और सच्ची जानकारी को पूरी तरह से ब्लैकआउट करने की कोशिश की जा चुकी थी। ऐसे में सूचना के प्रसार के लिए नरेंद्र मोदी और कुछ आरएसएस प्रचारकों ने इस कठिन कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी ली।


- नरेंद्र मोदी ने सूचना के प्रसार और साहित्य को वितरित करने के लिए एक नए तरीके को अपनाया।


- संविधान, कानून, कांग्रेस सरकार की ज्यादतियों के बारे में जानकारी देने वाले साहित्य गुजरात से दूसरे राज्यों के लिए जाने वाली ट्रेनों में रखे गए।


- हालांकि ये एक जोखिम भरा काम था क्योंकि रेलवे पुलिस बल को संदिग्ध लोगों को गोली मारने का निर्देश दिया गया था। लेकिन नरेंद्र मोदी और अन्य प्रचारकों द्वारा इस्तेमाल की गई तकनीक कारगर रही।