इस क्रिकेटर ने खोई थी एक आंख, b'day के दिन हुई थी पिता की मौत
मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 में भोपाल में नवाब इफ्तिखार अली खान के घर हुआ था।
क्रिकेट के नवाब के नाम से मशहूर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी की 22 सितंबर को डेथ एनिवर्सरी है। इस मौके पर नेक्सा news आपको बता रहा है उनसे जुड़े कुछ फेमस किस्से।
मंसूर केवल 21 साल की उम्र में टीम इंडिया के कप्तान बन गए थे, और उनकी गिनती भारत के सबसे महान कप्तानों में होती है। खास बात ये है जिस दिन वो अपना ग्यारवा जन्मदिन मना रहे थे उसी दिन उनके पिता की मौत हो गई थी। नवाब परिवार में हुए थे पैदा...
- मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 में भोपाल में नवाब इफ्तिखार अली खान के घर हुआ था।
- उन्हें क्रिकेट भी विरासत मे मिला था, दरअसल उनके पिता भी अपने जमाने के नामी क्रिकेटर थे।
- मंसूर अली खान का निकनेम 'टाइगर' पटौदी था। इसके अलावा उन्हें 'नवाब पटौदी जूनियर' भी कहा जाता था।
कैसा रहा है करियर
- नवाब पटौदी ने अपने क्रिकेट करियर में भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेलते हुए 2793 रन बनाए।
- अपने करियर में उन्होंने 6 सेन्चुरी और 16 हाफ सेन्चुरी भी लगाई। उनका हाईएस्ट स्कोर 203* था।
- उन्होंने भारत के लिए 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी भी की। जिसमें उन्होंने 2424 रन भी बनाए।
उन्होंने कप्तान रहते हुए ही डबल सेन्चुरी लगाई थी।
- अपनी कप्तानी में खेले 40 मैचों में से वे केवल 9 मैचों में ही जीत दिला पाए, जबकि 19 मैचों में हार मिली और 12 मैच ड्रॉ रहे।
- 1967 में इन्हीं की कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ एशिया के बाहर अपना पहला टेस्ट मैच जीता था।
बर्थडे के दिन ही खोया था पिता को
- टाइगर पटौदी के पिता की मौत उन्हीं के बर्थडे के दिन हुई थी।
- 1952 में जब वे अपनी तीन बहनों सालेहा, सबिना और कुदिसा के साथ अपना 11वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे थे। तभी उन्हें अपने पिता की मौत की खबर मिली थी।
- इस खबर को उनका मां ने आकर ही उन्हें बताया था। जिसके बाद उन्होंने कभी अपना बर्थडे अच्छे से नहीं मनाया।
- उनके पिता इफ्तेखार अली खान की मौत केवल 41 साल की उम्र में दिल्ली में पोलो खेलने के दौरान हो गई थी।
गंवा दी थी आंख की रोशनी
- जुलाई 1961 में ब्रिटेन के होव में हुए कार एक्सीडेंट में उनकी एक आंख खराब हो गई थी।
- इस एक्सीडेंट में कार की टूटी विंडशील्ड का एक टुकड़ा उनकी आंखों में लग गया था।
- जिसके बाद उनकी दायीं आंख हमेशा के लिए खराब हो गई। हालांकि ऑपरेशन की मदद से उनकी दूसरी आंख बच गई।
- इस एक्सीडेंट के बाद उन्हें हर चीज की डबल इमेज दिखने लगीं, जिसके बाद लोगों को लगा कि उनका क्रिकेट करियर अब खत्म हो गया है।
- लेकिन एक्सीडेंट के कुछ ही महीनों बाद ही उन्होंने एक आंख के साथ इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया और खेल में नई ऊंचाईयां हासिल कीं।
आंख गंवाने के बाद सबसे कम उम्र में कप्तान बने
- 1961 में जिस साल उनकी एक आंख खराब हुई थी, उसी साल उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में पहला टेस्ट खेलते हुए अपना डेब्यू किया।
- इसके बाद अगले ही साल 1962 में वेस्ट इंडीज टूर के दौरान उन्हें टीम का वाइस कैप्टन बनाया गया।
- इसी साल मार्च में वेस्ट इंडीज टूर के वक्त वे टीम इंडिया के कप्तान भी बन गए।
- दरअसल उस टूर पर टीम के कप्तान नरी कॉन्ट्रेक्टर इंजर्ड होने की वजह से बाहर हो गए थे। जिसके बाद पटौदी कप्तान बन गए।
- उस वक्त उनकी उम्र 21 साल 77 दिन थी, और वे दुनिया के सबसे कम उम्र के टेस्ट कप्तान बन गए थे।
आई डोनेट कर गए
- एक आंख रोड एक्सीडेंट में गंवाने के बाद भी टाइगर पटौदी अपनी दूसरी आंख दान कर गए।
- मौत से पहले ही उन्होंने अपनी दूसरी आंख डोनेट करने का फैसला कर लिया था।
- उनकी मृत्यु के बाद उनकी अच्छी वाली आंख को दान कर दिया गया।


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