कल चंद्रग्रहण पर करें ये आसान उपाय, चमक सकती है किस्मत
कल (7 अगस्त, सोमवार) चंद्रग्रहण है। ये ग्रहण भारत सहित अन्य देशों में देखा जाएगा। ज्योतिष व तंत्र शास्त्र के अनुसार, ग्रहण में किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही उपाय बता रहे हैं, जो आप चंद्रग्रहण पर कर सकते हैं। इन उपायों से आपकी बहुत सी समस्याओं का निराकरण हो सकता है व मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं।
भाग्य उदय के लिए उपाय
ग्रहण काल से पहले नहाकर साफ कपड़े पहन लें। ग्रहण प्रारंभ होते ही पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। सामने एक बाजोट (पटिया) रखें। उसके ऊपर एक थाली रखकर उसमें एक अष्टदल बनाएं। इसके ऊपर श्रीयंत्र निर्मित अंगूठी रखें। अब तेल का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र की 3 माला जप करें-
ऊँ कमलवासिन्ये श्रीं श्रियै ह्रीं नम:
इसके बाद दीपक को दूसरे कमरे में ले जाकर रख दें और ग्रहण समाप्ति के पूर्व यह अंगूठी पहन लें। अगले दिन दीपक को बरगद के पेड़ के नीचे रख आएं। इस उपाय से आपका भाग्य उदय हो सकता है
प्रमोशन के लिए उपाय
ग्रहण से पहले नहाकर साफ कपड़े पहन लें और एक शिवलिंग अपने पूजन कक्ष में स्थापित कर लें। ग्रहण प्रारंभ होने पर कुश का आसन बिछाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब रुद्राक्ष की माला से शिवलिंग के सामने इस मंत्र का जप करें-
ऊँ हुं कार्य सिद्धये क्लीं हौं
ग्रहण समाप्त होने के बाद शिवलिंग का पूजन करें तथा दूसरे दिन शिवलिंग को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें या शिवमंदिर में अर्पित कर दें। इससे प्रमोशन के योग बनने लगेंगे।
घर के लिए उपाय
ग्रहण काल से पहले नहाकर सफेद रंग के कपड़े पहन लें। इसके बाद ऊन या कुश के आसन पर उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब अपने सामने एक थाली रखें। इसके बाद एक भोजपत्र लें तथा उस पर अपने स्वयं के मकान होने की मनोकामना केसर से लिख कर रख दें। अब 108 बार नीचे लिखा मंत्र बोलें-
ऊँ देवोत्थाय नम:
अब एक मोती शंख लें और उसे भोज पत्र में लपेट कर घर से दूर किसी वट वृक्ष (बड़ का पेड़) के नीचे रख आएं।
धन लाभ के लिए उपाय
ग्रहण के पहले नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। ग्रहण काल शुरु होने पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ऊँ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें।
अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमलगट्टे की माला से ग्यारह माला जप करें-
मंत्र
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
मंत्र जप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।
रोग दूर करने के लिए उपाय
ग्रहण काल से पहले नहाकर सफेद वस्त्र पहन लें। अब सफेद आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब अपने सामने एक थाली को बाजोट पर रखकर उसमें कुंकुम से ऊँ बनाएं तथा उस पर महामृत्युंजय यंत्र स्थापित करें। इसके बाद धूप-दीप से पूजन करें व कुंकुम व चावल चढ़ाएं तत्पश्चात पंचामृत से पूरे ग्रहण काल तक यंत्र पर निरंतर अभिषेक करते रहें व नीचे लिखे मंत्र का जप करते रहें-
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भूव:स्व: ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ स्व: भुव: भू: ऊँ स: जूं हौं ऊँ
ग्रहण के बाद यंत्र पर चढ़ा पंचामृत रोगी को चम्मच से पिलाएं। कुछ ही समय में रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होने लगेगा।

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