99 साल के ये शख्स सुभाष चंद्र बोस की मौत पर नहीं करते यकीन, जानिए वजह
आज से ठीक 70 साल पहले 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली। सैकडों रणबांकुरों की कुर्बानी की बदौलत आज 71वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर हम आपसे मिलवाने जा रहे हैं 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी चेतराम से। जो आजाद हिंद फौज में सिपाही थे। वे आज भी मानने को तैयार नहीं हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्लेन क्रैश में मौत हुई थी।
- चेतराम बताते हैं कि नेताजी की मौत ताइवान के प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी, बल्कि नेताजी के ठिकाने के बारे में दिसंबर 1947 तक पता नहीं था। ये सब अफवाहें थी। अगर उनकी मौत हुई थी तो उनका शव आज तक क्यों नहीं मिला।
- नेताजी पर लिखी गई कईं किताबे आज भी दावा करती हैं कि उनकी मौत नहीं हुई थी। एक किताब में दावा किया गया था कि नेताजी की कथित मौत के 20 दिन बाद तीन सितंबर 1945 को अमेरिकी सेना ने जापानी सेना को हराकर ताइवान पर कब्जा कर लिया था।
- इसके बाद अमेरिकी की ख़ुफिया एजेंसी सीआईए ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ कहा था कि ताइवान में पिछले छह महीने से कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। ऐसे में कैसे यकीन किया जा सकता है कि नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में हुई थी।
6 साल जापान की जेल में रहे थे जेतराम
- परिवार के लोग कहते हैं कि चेतराम अपने जवानी के दिनों में बताते थे कि नेताजी वो बिजली थे जो अपने सिपाहियों की रंगों में करंट की तरह दौड़ते थे। उनके एक आह्वान पर हर सैनिक मर-मिटने को तैयार थे।
- गुलामी के दिनों में आजादी के लिए देशवासियों को एकजुट करने के लिए संघर्ष कर रहे नेताजी सुभाषचंद्र बोस से चेतराम बड़े प्रभावित थे।
- इसी कारण वे आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। उस समय चेतराम ने 6 साल तक जापान की जेल भी यातनाएं सही। उनके योगदान के लिए 1972 में इंदिरा गांधी, 1985 व 1997 में प्रदेश सरकार ने भी सम्मानित किया।
गहरी सोच में डूबे रहते हैं चेतराम
- परिवार व आस पडोस की युवा पीढ़ी को नेताजी और आजादी के किस्से भी चेतराम खूब बताते थे। मगर 99 वर्ष की उम्र में वे अब चलने फिरने के लिए पूरी तरह सहारे की जरूरत होती है, अधिकतर समय एक कमरे की चारपाई पर ऐसे बीतता है जैसे किसी गहरी सोच में डूबे हैं।
- कभी-कभी उनके पुराने साथी मिलने आते हैं, तो मुस्कुराने की कोशिश करते हैं।


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