जानिए जन्माष्टमी पर क्यों चढ़ाते हैं भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग ?
आज पूरे देश में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी का सबसे शुभ मुहूर्त रात 12 बजे बन रहा है। यह मुहूर्त इसलिए खास क्यों है क्योंकि इसी समय भगवान श्रीकृष्ण, काली और विंध्यवासिनी देवी के जन्मकाल का संयोग बन रहा है।
पुराणों के मुताबिक, आज ही के दिन महाकाली का प्रकट्योत्सव है। वहीं, विष्णु पुराण के अनुसार विंध्यवासिनी देवी भी भाद्रकृष्ण अष्टमी के मध्यरात्रि में यशोदा के यहां प्रकट हुईं थीं। यही वजह है कि इसे दुर्लभ संयोग माना जा रहा है।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से मिलती है कामयाबी
मान्यताओं के मुताबिक, जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन में न केवल कामयाबी मिलती है, बल्कि धन संबंधी दिक्कतें भी दूर होती हैं।
आज मध्यरात्रि में 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण को गाय के दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान करवाकर नए वस्त्र पहनाएं और जनेऊ भेंट करें। मान्यता है कि इससे अन्न, धन और सुख की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान को भोग लगाने के लिए 56 तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इन्हें ही 56 भोग कहा जाता है। इसके पीछे एक कहानी है।
“गोकुल में भगवान इन्द्र के प्रकोप की वजह से हो रही भारी बारिश से चबने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था।
सभी गांव वालों ने इस पर्वत के नीचे आकर शरण ली। भगवान श्रीकृष्ण लगातार सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारण किए रहे।
अंततः भगवान इन्द्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने बारिश रोक दी। भगवान श्रीकृष्ण प्रतिदिन भोजन में आठ तरह की चीजें खाते थे, लेकिन सात दिनों से उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था।
इसलिए सात दिनों के बाद गांव का हर निवासी अभार प्रकट करने के लिए उनके लिए 56 तरह के पकवान बनाकर लेकर आया।”
परंपरा है कि भगवान श्रीकृष्ण को भोग अनुक्रम में लगाया जाए। 56 भोग में शुरू दूध से करते हैं और फिर माखन-मिसरी, बेसन आधारित मिठाई, नमकीन खाना और अंत मिठाई व इलाइची से करने का रिवाज है।


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