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क्यों हुई थी 1962 की जंग? इस बार सिक्किम में चीन को रोकना क्यों जरूरी?


चीन के साथ बॉर्डर को लेकर करीब एक महीने से टकराव चल रहा है। इस बार उसने सिक्किम का इलाका चुना है।

भारत-चीन के बीच बॉर्डर को लेकर विवाद करीब 58 साल पुराना है। यह उस वक्त सामने आया, जब चीन ने 1959 में भारत के 50 हजार वर्गमील इलाके पर अपना हक जताया था। भारत ने इसका विरोध किया। टकराव बढ़ता रहा, आखिरकार 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। यह जंग भारत हार गया। अब चीन के साथ दोबारा बॉर्डर को लेकर करीब एक महीने से टकराव चल रहा है। इस बार उसने सिक्किम का इलाका चुना है। यहां वह सड़क बना रहा है। अगर यह काम पूरा हो गया तो भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। 1962 के जंग की दो वजह थीं...

क्यों हुई थी 1962 में भारत-चीन जंग?
पहली वजह
- भारत-चीन के बीच जम्मू-कश्मीर के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश से लगे बॉर्डर को लेकर विवाद है। अक्साई चिन में दोनों देशों के बीच जो बॉर्डर है उसे जॉनसन लाइन और अरुणाचल वाले बॉर्डर को मैकमोहन लाइन कहते हैं।
- 1899 में अक्साई चिन का इलाका अंग्रेजों ने चीन को दे दिया, लेकिन 1918 में वापस ले लिया था। इस पर चीन का ब्रिटिश हुकूमत से विवाद चलता रहा। भारत आजाद हुआ तो अक्साई चिन भारत के हिस्से में आ गया। तब से ही चीन और भारत के बीच इस इलाके को लेकर विवाद चल रहा है।
- इसी तरह चीन अरुणाचल बॉर्डर को विवादित बताता है। दरअसल, 1913-14 में ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के रिप्रेजेंटेटिव्स की बॉर्डर को लेकर बातचीत हुई। ब्रिटिश अफसर हेनरी मैकमोहन ने समझौते के साथ एक नक्शा पेश किया। इसमें हिमालय को आधार मानते हुए तिब्बत और भारत की पूर्वी सरहद तय की गई थी। लेकिन चीन को यह नक्शा मंजूर नहीं था। अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद यह विवाद भी भारत के हिस्से में आ गया।
- बॉर्डर विवाद की वजह से ही चीन ने 1959 में भारत के 50 हजार वर्गमील के इलाके पर दावा किया।
दूसरी वजह
- 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां दलाई लामा और उनके अनुयायियों ने चीन के खिलाफ बगावत कर दी। चीनी सेना उन्हें बंदी बनाती इससे पहले ही मार्च 1959 में दलाई लामा पनाह लेने भारत आ गए। इससे चीन बौखला गया। उसे लगा भारत इस बगावत को हवा दे रहा है। इसके बाद से ही चीन ने जंग की तैयारी शुरू कर दी थी।
कहां हुई 1962 की जंग?
- 8 सितंबर 1962 को 800 चीनी सैनिकों ने तिब्बत की ढोला पाेस्ट में भारतीय सैनिकों को घेर लिया। बाद में नेफा की ओर से घुसपैठ की। 12 अक्टूबर को जवाहर लाल नेहरू ने नेफा में भारत की जमीन चीनी सैनिकों से खाली कराने का ऑर्डर दे दिया है। इससे कम्युनिस्ट लीडर माओत्से तुंग तमतमा गए। चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू कर दिए।

कितने दिन जंग चली, भारत को कितना नुकसान हुआ?
- यह जंग एक महीने चली। भारत इसमें हार गया। इसमें भारत की तरफ से सिर्फ 12 हजार सैनिकों ने चीन के 80 हजार सैनिकों से मुकाबला किया था। इस लड़ाई में 1383 भारतीय सैनिक शहीद हुए, 1047 घायल हुए। करीब 1700 सैनिक लापता हो गए और 3968 सैनिकों को चीन ने बंदी बना लिया था। उधर, चीन के 722 सैनिक मारे गए, 1697 घायल हुए थे।
- 20 नवंबर 1962 को चीन ने एकतरफा जंग बंद करने का एलान कर दिया।
भारत क्यों हारा जंग?
- यह जंग करीब 14000 फीट की ऊंचाई वाले बेहद मुश्किल इलाके में हुई थी।
- जानकार मानते हैं कि भारत सरकार ने सेना को हवाई हमले की इजाजत नहीं दी, नहीं तो हम जंग जीत जाते।
- चीन की सेना ने अरुणाचल प्रदेश को भारत से लगभग छीन लिया था और चीनी सेना असम के तेजपुर तक पहुंचने वाली थी।
- दूसरी तरफ लद्दाख के अक्साई-चिन इलाके पर भी चीन ने कब्जा कर लिया था।
- बाद में चीन ने अपनी सेना को अरुणाचाल प्रदेश से हटा लिया था और जंग बंद करने का एलान कर दिया।

अभी क्या है विवाद?
- चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा है। डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान के बॉर्डर मिलते हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर अपना-अपना दावा करते हैं। भारत इस विवाद में भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलांग कहलाता है।
क्यों सड़क बनाने पर अड़ा है चीन? क्यों जरूरी है उसे रोकना?
- चीन जहां सड़क बना रहा है, उसी इलाके में 20 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह ‘चिकेन नेक’ भी कहलाता है। चीन का इस इलाके में दखल बढ़ा तो भारत की कनेक्टिविटी पर असर पड़ेगा। भारत के कई इलाके चीन की तोपों की रेंज में आ जाएंगे।
- चीन अपनी सड़क को डोकलाम से साउथ में गामोचेन की तरफ बढ़ाना चाहता है। गामोचेन पर भारत की सिक्युरिटी फोर्स तैनात है। गामोचेन से ही जम्फेरी रिज शुरू होता है। यह रिज भूटान के इलाके में है।
- अगर चीन ने सड़क को बढ़ाया तो वह न सिर्फ भूटान के इलाके में घुस जाएगा, बल्कि वह भारत के सिलीगुड़ी काॅरिडोर के सामने भी खतरा पैदा कर देगा।

मानसरोवर यात्रा का सिक्कम विवाद से क्या संबंध है?
- मानसरोवर यात्रा के लिए नाथु ला पास वाला रास्ता डोकलाम भी जाता है। डोकलाम में ही चीन सड़क बना रहा था।
- चीन ने शुरू में मानसरोवर यात्रा रोके जाने की वजह नहीं बताई, बाद में खुलासा हुआ कि वह डोकलाम को लेकर चल रही तनातनी की वजह से यात्रा रोक रहा है। भारत ने फिलहाल इस रास्ते से यात्रा रद्द कर दी है।
क्या है सिक्किम का इतिहास?
- भारत आजाद हुआ तब सिक्किम उसमें नहीं था। वहां नामग्याल परिवार का शासन था।
- 16 मई 1975 को सिक्किम को भारत के 22वें राज्य का दर्जा मिला।

55 साल में क्या बदला?
1962 2017
टकराव क्यों? तिब्बत आंदोलन और बॉर्डर विवाद की वजह से हुआ। चीन ने सिक्कम में सड़क बनाना शुरू किया।
कितना बढ़ा? जंग हुई, जिसमें हमारे 1383 सैनिक शहीद हो गए। चीन की घुसपैठ। हमारे बंकर तोड़े। एक महीने से तनाव।

1962 के और अभी के हाल में फर्क नहीं
- विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह का कहना है, "1950 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के फाउंडर माओत्से तुंग ने कहा था कि अगले 15 साल में हम ब्रिटेन से ज्यादा चीन को डेवलप करके बताएंगे। लेकिन इस कोशिश में 10 साल के अंदर चीन की आर्थिक हालात बहुत खराब हो गई। ऐसे में जनता की नजर में खुद को ऊंचा उठाने के लिए बॉर्डर विवाद के बहाने भारत पर हमला किया गया। हमले की एक यह भी वजह से कि जवाहरलाल नेहरू का एशिया के लीडर्स में सबसे ऊंचा मुकाम था। भारत की अमेरिका और रूस दोनों से नजदीकियां भी थीं। चीन को यह बर्दाश्त नहीं था।"
- "इस वक्त के हालात देखें तो कुछ वैसे ही हैं। चीन की इकोनॉमी मुश्किल मंे है। भारत की रूस के साथ-साथ अमेरिका से भी नजदीकियां बढ़ रही हैं। मोदी का कद दुनिया में ऊंचा होता जा रहा है। ऐसे में चीन भारत पर तोहमत लगाकर जंग का बहाना ढूंढ रहा है, ताकि जनता में राष्ट्रवाद जागे और सरकार की नाकामियों को छुपाया जा सके।"