यहां के स्टोन से बनेगा अयोध्या राम मंदिर, दिनरात नक्काशी में जुटे कारीगर
राजस्थान और उत्तरप्रदेश में एक सरकार होने का सीधा फायदा अयोध्या में राम मंदिर बनाने की तैयारियों में जुटे संगठनों को मिलने लगा है। यही वजह है कि राजस्थान से अयोध्या भेजे जा रहे पत्थरों पर दो साल से लगी अघोषित रोक हट गई है। दो दिन पहले ही भरतपुर के बंशी पहाड़पुर से 300 टन लाल पत्थर अयोध्या भेजा गया है। आगामी दिनों में यहां से करीब 75 हजार घन मीटर यानी 200 ट्रक पत्थर अयोध्या भेजने का ऑर्डर भी मिल गया है।
गौरतलब है कि 30 अगस्त, 1990 को अयोध्या के कारसेवकपुरम में पत्थरों को तराशने का काम शुरू हुआ था। इसके अलावा जालोर जिले के पिंडवाड़ा में भी तीन कार्यशालाओं में यह काम चलता रहा। अब तक गर्भगृह और भूतल के सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप और कोली गर्भगृह के लिए पत्थर की तराशी का काम पूरा हो चुका है। पहली और दूसरी मंजिल के पिलरों, दीवारों और अन्य कार्यों के लिए अब पत्थर भेजा जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद भरतपुर से पत्थर भेजने का काम थोड़ा धीमा हो गया है। हरिओम स्टोन के प्रतिनिधि राजू ने बताया कि 10 जुलाई के बाद इसमें तेजी आएगी। इस फर्म से दो दिन पहले ही 300 टन लाल पत्थर अयोध्या भेजा गया है।
2 साल पहले पत्थर इकट्ठा किए जाने पर रोक लगा दी थी
बता दें कि यूपी की पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार ने दो साल पहले पत्थर इकट्ठा किए जाने पर रोक लगा दी थी। उस समय दो ट्रक पत्थर अयोध्या पहुंचे थे। इसके बाद वाणिज्य कर विभाग ने पत्थरों को लाने पर रोक लगा दी। भाजपा की योगी सरकार ने यह रोक हटा ली है। हिंदूवादी संगठन वीएचपी के चंदे के रूप में पत्थर भेजने की अपील के बाद बंशी पहाड़पुर में खनन के काम में तेजी आई है। 14 जून, 2015 को वीएचपी मार्गदशक मंडल की बैठक में यह अपील की गई कि मंदिर के लिए पैसों से ज्यादा पत्थरों का दान चाहिए।
मंदिर की दीवारों और पिलरों में होगा इस्तेमाल
इन पत्थरों का इस्तेमाल राम मंदिर की पहली और दूसरी मंजिल के 14 फीट ऊंचे और चार फीट चौड़े 70 पिलरों, दीवारों में होगा। विवादित ढांचा ध्वस्त होने से पहले राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में बड़े पैमाने पर राम मंदिर के लिए पत्थरों की गढ़ाई का काम हो चुका है। यहां की सोमपुरा मार्बल व अन्य इकाइयों से बंशी पहाड़पुर के पत्थर को तराशकर अयोध्या भेजा गया है।
20 कारीगर दिनरात पत्थरों की नक्काशी में जुटे
सोमपुरा मार्बल के हितेश भाई ने बताया कि मस्जिद गिराए जाने के बाद देशभर में हुए तनाव के कारण पिंडवाड़ा में राम मंदिर के पत्थरों की गढ़ाई का काम बंद हो गया था। अब राजस्थान के 20 कारीगर दिनरात पत्थरों की नक्काशी में जुटे हैं। कारसेवकपुरम में नक्काशी में जुटे कारीगर गिरीश भाई पहले पिंडवाड़ा में नक्काशी करते थे, लेकिन 1992 के बाद वे कारसेवकपुरम में ही काम कर रहे हैं। गिरीश भाई ने बताया कि पत्थरों की खेप शुरू होने से आगामी दिनों में काम में तेजी आएगी।
बंशी पहाड़पुर का पत्थर इसलिए खास
हिंदूवादी संगठन वीएचपी की मंदिर बनाने का काम देख रही इकाई ने भरतपुर के रुदावल क्षेत्र के बंशी पहाड़पुर से निकलने वाले लाल सेंड स्टोन को मंदिर के लिए सबसे उपयुक्त माना। यहां के पत्थर की खासियत मजबूती और सुंदरता है। इसमें रूनी नहीं लगती। साथ ही इसमें पच्चीकारी बहुत महीन हो सकती है। संसद, लालकिला, बुलंद दरवाजा सहित कई इमारतों, मंदिरों और किलों में यहां का सेंड स्टोन लगा है। मंदिर के लिए 1.75 हजार घन फीट पत्थर की आवश्यकता है। एक लाख क्यूबिक फीट पत्थर पहले ही अयोध्या पहुंच चुका है।
गुणवत्ता के लिए एक खान को ऑर्डर
एक जैसे रंग और बेहतर गुणवत्ता के लिए अधिकांश पत्थर एक ही खान के हरिओम स्टोन से ही भेजे जा रहे हैं। खान के संचालक राजू भाई ने बताया कि दो दिन पहले ही तीन ट्रक अयोध्या भेजे गए हैं। जल्द ही बड़ी संख्या में और ट्रक भेजेंगे।

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