आइए जानें आखिर शादी में दूल्हें को घोड़ी पर ही क्यों बैठाते हैं !
आपके घर में या आपकी या फिर किसी ना किसी के घर में शादी में गए होंगे। शादी एक पवित्र रिश्ता होता हैं, शादी दो लोगों के बीच नहीं बल्कि दो परिवार के बीच होती हैं, आपने शादी में एक बार गौर की हैं कि आखिर जो दूल्हा होता हैं वह घोड़ी पर ही क्यों बैठता है। नहीं तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर दूल्हा घोड़ी पर ही क्यो बैठता है।
भगवान श्री कृष्ण रुक्मणी का विवाह या श्रीराम सीता जी का हो पत्नी को लाने के लिए युद्ध की परिस्थितियां बनी इस कारण दूल्हे को घोडी पर बिठाकर लें जाने की परम्परा शुरू हुई।
आपको बतादें कि घोड़े को वीरता और शौर्य का प्रतीक माना गया हैं, वहीं घोड़ी को उत्पत्ति का कारक करार दिया गया है।
घोड़ी बुद्धिमान, चतुर और दक्ष होती है। भारत में विवाह एक उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं, यहां दुल्हे को राजा सा सम्मान दिया जाता हैं, विवाह के अवसर पर दूल्हा कपड़े पहनकर हाथ में तलवार लेकर, मस्तक पर फूलों का सेहरा बांधकर घोडी पर चढकर वीरके रूप में विवाह के लिए आता हैं और तलवार से तोरण उसकी जीत का सूचक होता है।


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