कभी यहां आई थी बाढ़, तो 30 मिनट में बदल गया था
इस साल हुई राजधानी में हुई पहली बारिश ने पिछले 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। eyevid 1960 में आई बाढ़ के उस खौफनाक मंजर को उस वक्त के लोगों की जुबानी बताने जा रहा है। वरिष्ठ इतिहासकार योगेश प्रवीन और काले बाबा के नाम से मशहूर पूर्व गाइड काले खान ने उस वक्त आई बाढ़ की दास्तां सुनाई।
30 मिनट में डूब गया पूरा पुराना लखनऊ
- 1960 की बाढ़ के चश्मदीद गवाह बने बाबा काले खान ने बताया- ''मैं शुरूआत से ही इमामबाड़े का गाइड रहा हूं, मेरे पिता जी भी वहीं गाइड थे, रिटायरमेंट के बाद से मैं जामा मस्जिद में ही रहता हूं। 1960 में मैं करीब 15 साल का था।''
- वो बताते हैं कि लखनऊ में सबसे पहली बाढ़ 1923 में आई थी, लेकिन उससे भी ज्यादा भयानक बाढ़ थी 1960 की। ''मैं जामा मस्जिद के पास की गली में रहता था।''
- ''हम अपने दोस्तों के साथ बारिश का मजा लेने के लिए अक्सर गोमती के किनारे जाया करते थे। वहीं पर पतंगबाजी, कबड्डी हुआ करती थी।''
- ''जुलाई के आखिरी हफ्ते में बारिश जो शुरू हुई तो अगले कुई दिनों तक होती रही। हमारी अम्मी शाम को 7 बजे के करीब खाना बना रही थीं। तभी देखा कि बहुत तेजी से पानी सड़कों से होता हुआ घरों में घुसने लगा।''
- ''मैं उस वक्त तक घर से बाहर था, मेरे भागकर अंदर आने तक पानी घुटने तक भर गया था। हमसब भागकर छतों पर चले गए। 'अगले 30 मिनट में पूरा घर डूब गया।''
- ''पुराना लखनऊ, हजरतगंज, कैसरबाग, इमामबाड़ा, विश्वविद्यालय, हुसैनाबाद, नक्खास डूब चुका था। रात मे करीब 2 बजे सरकारी नाव चलती दिखाई पड़ी, वो हमारे छत के पास आई और हम उसपर बैठकर बड़े इमामबाड़े की छत पर चले गए।''
जिंदा नहीं बचा होगा कोई, हर तरफ मच गई थी चीख-पुकार
- राजधानी के वरिष्ठ इतिहासकर योगेश प्रवीण ने बताया, ''उस वक्त(1960) मैं करीब 19 साल का था। मेरा घर काफी ऊंचाई पर यहिआ गंज के पास था।''
-''रात को करीब 9बजे का वक्त रहा होगा, आधे से ज्यादा पब्लिक सो चुकी थी। अचानक लोगों के चिल्लाने और रोने का शोर सुनाई देने लगा। इतनी तेजी से पानी घरों में घुसा कि आधे तो लेटे थे, उनके ऊपर पानी चलने लगा। लोगों को कपड़े तक उठाने का समय भी नहीं मिला।
- ''इससे पहले करीब 6-7 बजे तक सिर्फ पैर के पंजों तक पानी था। लेकिन बाद में स्थिति इतनी खराब हो गई कि पुराने लखनऊ में सभी के घर डूब चुके थे। लोग इमामबाड़ें छतों पर चले गए।''
- ''जिसके पास जो था, वो बांट कर खा रहा था, क्योंकि उस बाढ़ में तो बड़े से बड़ा अमीर भी फकीर बन चुका था।''


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