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13 की उम्र में सिंगर बनने घर से भागी थीं टुनटुन, मोटापे ने बनाया कॉमेडियन


उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में जन्मी टुनटुन अगर आज हमारे बीच होतीं तो वो 94 साल की होतीं।

उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में जन्मी टुनटुन अगर आज हमारे बीच होतीं तो वो 94 साल की होतीं। कम की लोग जानते हैं 11 जुलाई 1923 को जन्मी टुनटुन का असली नाम उमा देवी खत्री था। बचपन में ही टुनटुन के माता-पिता की डेथ हो गई थी। पैरेंट्स की डेथ के बाद टुनटुन को उनके चाचा ने पाला। सिंगर बनना चाहती थीं टुनटुन...


- वैसे तो टुनटुन सिंगर बनना चाहती थीं। इसी वजह के से वो महज 13 की उम्र में वे भाग कर मुंबई आ गईं।
- मुंबई आने के बाद टुनटुन की मुलाकात संगीतकार नौशाद से हुई। जिनसे उन्होंने
फिल्म में गाने का मौका देने की रिक्वेस्ट की।
- यही नहीं नौशाद के सामने टुनटुन जिद पर अड़ गईं कि अगर उन्हें गाने का मौका नहीं मिला, तो वो उनके बंगले से समुद्र में कूद जाएंगीं।
- ऐसे नौशाद ने टुनटुन का छोटा सा ऑडिशन लिया और आवाज से इम्प्रेस होकर उन्हें तुरंत काम दे दिया।
- इसके बाद उन्होंने अपना पहला गाना 'अफसाना लिख रही हूं' गाया। जिसे काफी पसंद किया गया। इसी सॉन्ग के दम पर उन्हें कई और सॉन्ग गाने का मौका मिला।
मोटापे ने बनाया कॉमेडियन
- टुनटुन ने करीब फिल्मों में 40-45 गाने गाए। बाद में आशा भोसले, लता मंगेशकर और नूरजहां जैसी गायिकाओं का दौर आने से उन्हें काम मिलना थोड़ा मुश्किल हो गया।
- काम ना मिलने की वजह से टुनटुन के परिवार को पैसों की दिक्कत होने लगी। ऐसे में उन्होंने फिर एक्टिंग में हाथ आजमाने का डिसीजन लिया।
- 1950 में पहली बार टुनटुन 'बाबुल' में नजर आईं। फिल्म में उन्हें साइड रोल मिला जो कि एक कॉमिक रोल था।
- कहा जाता है टुनटुन को मोटापे की वजह से एक्ट्रेस की बजाय ये कॉमिक रोल ऑफर किया गया था।
- फिल्म में उनके इस कॉमिक रोल को काफी पसंद किया। यही नहीं, टुनटुन ने दो-तीन फिल्मों में ही अपने मोटापे और कॉमेडियन अंदाज से अलग पहचान बना ली थी।
- बेशक उनका किरदार फिल्म में छोटा होता था, लेकिन उनके मस्तमौला, बेपरवाह कैरेक्टर्स ने ऑडियंस को खूब हंसाया।
- बता दें, टुनटुन इंडियन सिनेमा की पहली कॉमेडियन(एक्ट्रेस) थीं

दिलीप कुमार ने दिया था टुनटुन नाम

- फिल्म 'बाबुल'(1950) में रोल ऐसा था कि दिलीप कुमार भागते-भागते टुनटुन के ऊपर गिर जाते हैं।
- बताया जाता है कि इस सीन को करने के बाद दिलीप कुमार ने ही उनका नाम टुनटुन रख दिया था और तभी से उमा देवी खत्री टुनटुन बन गईं

200 फिल्मों में किया काम

- टुनटुन ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया।
- इनमें टुनटुन की 'बाज', 'आर-पार', 'मिस कोका कोला', 'उड़न खटोला', 'मिस्टर एंड मिसेज 55', 'कभी अंधेरा कभी उजाला', 'मुजरिम', 'जाली नोट', 'एक फुल चार कांटे', 'राजहठ', 'बेगुनाह', 'उजाला', 'कोहिनूर', '12 ओ क्लॉक', 'दिल अपना प्रीत पराई', 'कश्मीर की कली', 'अक्लमंद', 'दिल और मोहब्बत', 'CID', 'एक बार मुस्कुरा दो' और 'अंदाज' जैसी फिल्में शामिल हैं।
- 24 नवंबर 2003 को टुनटुन की डेथ हो गई। बॉलीवुड में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।