एक पिता का दर्द- हाथों की मेहंदी छूटने से पहले बेटी को बना दिया था विधवा
उन्होंने बेटी को पढ़ा लिखाकर शादी की, लेकिन शादी के चार महीने बाद ही वह विधवा हो गई।
गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर को लेकर राजस्थान के सामाजिक संगठन विरोध में उतरे हुए हैं। इसी बीच एक विधवा महिला विजेता कंवर के पिता किशनसिंह सवाल उठाया है कि उनके दामाद राजेंद्र सिंह की जब आनंदपाल ने हत्या की थी तब राजपूत समाज आगे क्यों नहीं आया ? वीडियो के जरिए की अपील...
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में किशनसिंह कह रहे हैं कि, 'राजपूत समाज के युवा आज किस दिशा की तरफ जा रहे हैं। एक अपराधी, जिसने न तो राजपूतों और न दूसरों को छोड़ा; न जाने कितनी हत्याएं की हैं, जो सब आपके सामने हैं। एक अपराधी को आप शहीद का दर्जा दिलाने में लगे हो। क्या राजपूत समाज में दूसरा कोई पैदा नहीं हुआ, जिसको हीरो के रूप में सामने ला सकें।
- किशन सिंह ने बताया, 'राजेंद्र सिंह एक शिक्षक थे, जिनका आनंदपाल के साथ कोई संबंध नहीं था। जिनकी चंद पैसों के लिए गैंगस्टर आनंदपाल ने बिना कारण हत्या कर दी। जिस लड़की के हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी थी, उसके लिए समाज ने क्या कभी सहानुभूति जताई ? या उसके सहयोग के लिए आपने कोई आवाज उठाई? '
- किशन सिंह ने बताया कि, उन्होंने बेटी को पढ़ा लिखाकर शादी की, लेकिन शादी के चार महीने बाद ही वह विधवा हो गई। अब बेटी पर क्या बीत रही है, यह केवल मेरा परिवार ही समझ सकता है।
यह है पूरा मामला
- फतेहपुर तहसील के ग्राम छोटी बलोद निवासी राजेन्द्रसिंह शेखावत परबतसर के भावसिया गांव में अध्यापक था। राजेंद्र सिंह की 31 अक्टूबर 2004 को कार में आए लोगों ने फायरिंग कर हत्या कर दी थी।
- नागौर जिले के परबतसर के पास मांडण गांव की नाडी के नजदीक 31 अक्टूबर को सुबह 9.30 बाइक पर जा रहे दो शिक्षकों को एक कार चालक ने टक्कर मारी और उनमें से राजेंद्र सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी। वहीं, एक साथी शिक्षक को जिंदा छोड़ दिया था। वारदात के दिन कार में 5 लोग सवार थे।
- इस मामले में सुक्खा गैंग पर शक जाते ही उसकी गैंग के गुर्गों पर फोकस किया गया और मामला खुल गया। हत्या करवाने वाले इसी शिक्षक के गांव के ही लोग थे, जिनकी पांच साल से रंजिश चल रही थी।


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