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इस अनोखे केले को बिना छिले खा सकते हैं, कीमत जानकर चौंक जाएंगेे



 वैसे तो अब वो दिन चले गए जब केला खाने से पहले इसका छिल्का छीलना पड़ता था और इसके छिल्के केे ऊपर पैर पड़ने से कई लोग फिसल जाते थे. विज्ञान की तरक्की के चलते अब ऐसा केला विकसित किया गया है जिसे छीलने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि इसे छिलके समेत खाया जाता है. यह अनोखा केला हर सप्ताह केवल सीमित बिक्री के लिए रखा जाता है और इसकी कीमत जानकर आप हैरान रह जाएंगे.



यह हैरतअंगेज कारनामा किया है जापान के किसानों ने. यहां के किसानों ने हिमयुग (आइस एज) की नकल करते हुए डीएनए के जरिये पूरी तरह खाने योग्य केला सफलतापूर्वक उगाया है. इस केले की प्रजाति का नाम ‘मॉन्गे केला’ रखा गया है, जिसका जापानी भाषा में अर्थ ‘अविश्वसनीय’ होता है.इस नए और बेहतर केले को बनाने के लिए ‘फ्रीज थॉ अवेकनिंग’ यानी जमाना, पिघलाना और फिर जगाना (सही करना) विधि का इस्तेमाल किया गया है.जापान के ओकायामा प्रांत के डीएंडटी फार्म में इस्तेमाल किए जाने वाले इस तरीके में आइस एज (हिमयुग) जैसा ही तापमान और उगने लायक हालात फिर से तैयार किए गए, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादा मीठे और पूरी तरह खाने योग्य केले पैदा हो गए.

20,000 साल पहलेे पौधे के उगने के तरीके की नकल करते हुए और मॉन्गे केला बनाने के लिए, डीएंडटी फार्म के किसानों ने केले के अंकुरों को -60 डिग्री सेल्सियस तापमान में जमा दिया और फिर बाद में जब वे पिघल गए उन्हें फिर से बो दिया.तापमान में इस बदलाव ने इन अंकुरों को तेजी से उगने के लिए प्रोत्साहित किया, वो भी जापान जैसी अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु में जो सामान्यता केलों को उगने से रोकती है.

लेकिन क्योंकि जापान अभी भी 99 फीसदी केलों का आयात ही करता है, इसलिए यहां पर फलों के दाम सामान्यता ज्यादा हैं. इनसे अलग, मॉन्गे केेला के दाम काफी ज्यादा 5.63 अमेरिकी डॉलर (करीब 361 रुपये) प्रति केला हैं.मॉन्गे केला के इन भारी-भरकम दामों के बावजूद इसकी काफी मांग है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सामान्य केलों की तुलना में काफी तेजी से उगता है.

आमतौर पर एक केला को पूरी तरह विकसित होकर पकने के लिए करीब दो साल का वक्त लगता है, लेकिन मॉन्गे केला केवल 4 माह में ही उगता है. इसके बावजूद हर सप्ताह करीब 10 केले ही बिक्री के लिए जाते हैं, ताकि पूरी तरह से खाए जाने लायक केले की मांग बेहद तेज हो जाए.



इस फार्म की वेबसाइट पर केला का छिलका खाने के संबंध में जानकारी दी गई है. इसमें लिखा गया है, “केला का छिलका एक सबसे बेहतरीन घटक (हिस्सा) है, जिसमें विटामिन B6 और मैग्नीशियम शामिल होता है, जो सेरोटॉनिन के संश्लेषण से संबंधित है.”इसी वक्त ‘ट्रिप्टोफैन’ जो सेरोटॉनिन का कच्चा तत्व है, भी मिलता है जो दिमाग को स्थिर करता है और नींद लाता है.

आम केले के एक ज्यादा मीठे स्वरूप मॉन्गे केला में 24.8 ग्राम शर्करा है जबकि औसतन सामान्य केलों में 18.3 ग्राम शर्करा पाई जाती है. पूरी तरह खाए जाने योग्य इसके छिल्के के साथ इसमें कोई हैरानी नहीं कि मॉन्गे केला काफी प्रतिष्ठित हो गया है. हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या यह केला भी भूरा होता है?