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ऐसा गांव, जहां हर घर में रहता है एक तांत्रिक, महिलाओं पर ढाते हैं भयानक जुल्म



 भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर चलानिया गांव में खड़ी पहाड़ी पर भैरूजी का मंदिर है, जिसे चलानिया भैरूजी के नाम से जाना जाता है। बंक्यारानी में भोपों का कारोबार बंद होने के बाद अब उनका नया ठिकाना चलानियां गांव बना है। यहां घर-घर भाेपे हैं, बारी-बारी से मंदिर में इनकी ड्यूटी लगती है। हर शनिवार को यहां रातभर जागरण चलता है, शराब के नशे में चूर अनपढ़ भोपे डायन निकालने का दंभ भरते हुए महिलाओं को जमकर प्रताड़ित करते हैं।


चढ़ावे के रूप में देशी और विदेशी शराब, कांसा (देशी घी में तर मीठा चावल), अनाज और नारियल चढ़ाए जाते हैं। शनिवार-रविवार को इस मंदिर में हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं। एक साथ सैकडोंं महिलाओं को भैरूजी के भाव आते हैं। बीमार महिलाओं को इनके सामने लाया जाता है, ये ही तय करती हैं कि किसे ऊपर की छाया लगी है, किस पर डायन का प्रकोप है और किसे भूत-प्रेत लगा है। मंदिर परिसर में लोग खुलेआम शराब पीते हैं। पहाड़ी पर बकरों और मुर्गों की बली दी जाती है।


- राजस्थान में 90 फीसदी मामलों में उन्हीं महिलाओं को डायन बनाया गया है जो दलित और गरीब हैं तथा जिनके पति की मौत हो चुकी है। भास्कर टीम ने तीन जिलों में डायन प्रताड़ना का शिकार हुई 46 महिलाओं और उनके परिजनों से मुलाकात कर हकीकत जानीं। इनमें से 42 महिलाएं ऐसी थी जो दलित, गरीब और विधवा थी। एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिला जिसमें किसी सवर्ण अथवा अमीर वर्ग की महिला को डायन बताया गया हो।



भास्कर की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि डायन प्रताड़ना के अधिकांश मामलों में संपत्ति और जमीन हड़पने के लिए नाते-रिश्तेदार साजिश रचते हैं। कई जगह पड़ौसियों ने ही अपनी दुश्मनी निकालने के लिए इन पर डायन का तमगा लगा दिया। राजस्थान डायन प्रताड़ना निवारण अधिनियम बनने के बाद भी इस तरह के मामलों में कमी नहीं आई है। हर माह कोई न कोई नया मामला सामने आ जाता है।


- सामाजिक कार्यकर्ता तारा अहलुवालिया के मुताबिक, इस कानून में महिला को डायन कहना गैरजमानती अपराध माना गया है लेकिन ज्यादातर मामलों में आरोपी छह-सात दिन बाद ही छूट कर वापस आ जाते हैं। कानून बनने के बाद भीलवाड़ा में 18 और डूंगरपुर में 12 नए मामले सामने आ चुके हैं।

- गांव में किसी की बकरी मर गई या भैंस बीमार हो गई, किसी के बच्चा नहीं हुआ या फिर किसी की स्वभाविक मौत हो गई। देखने में चाहे ये बातें अलग-अलग हो, लेकिन आज भी इन चीजों के लिए गांव की किसी कमजोर महिला को शिकार बनना पड़ता है।


- भीलवाड़ा, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जैसे जिलों में आज भी इन्हीं बातों के लिए किसी न किसी महिला को डायन बना दिया गया। भौली गांव की रामकन्या को 20 दिन तक इसलिए घर में कैद कर दिया गया क्योंकि गांव में किसी दबंग की बेटी बीमार हो गई। गांव में किसी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली तो राजसमंद जिले के थाली का तला गांव की केशी बाई को नंगा करके गधे पर बिठा दिया गया।


- वहीं, पड़ोसी की पत्नी बीमार हाेने पर भीलवाड़ा के ईंट का मारिया गांव की नानी लुहार को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया।


- प्रदेश में सख्त कानून बनने के बावजूद हर साल दर्जनों महिलाओं को अंधविश्वास भरी ज्यादती डायन प्रथा का शिकार होना पड़ रहा है। डायन के नाम पर नंगा करके गांव में घूमाने, मुंडन कर देने, गर्म अंगारों में हाथ-पैर जला देने और पीट-पीटकर मार डालने जैसी भयावह यातनाएं दी जाती हैं। यह कुप्रथा हर साल कई महिलाओं की जिंदगी लील रही है।