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1 हजार रु. की जॉब करता था ये शख्स, आज कंपनी का टर्नओवर 300 कर.



हाल ही में गुजरात की रियल एस्टेट कंपनी सैवी के मालिक और कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के प्रेसिडेंट जाक्षय शाह ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। वे यूपी में रियल एस्टेट बिजनेस में आ रहीं प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। सीएम ने उन्हें यूपी में रियल एस्टेट बिजनेस के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाने का भरोसा जताया। साथ ही, यूपी में प्रधानमंत्री आवास योजना लॉन्च करने पर भी डिस्कशन हुआ।


 जाक्षय बताते हैं, "बचपन से ही मेरा इंटरेस्ट सिविल इंजीनियरिंग में था। कैसे एक खाली जमीन पर पूरी इमारत खड़ी हो जाती है, इसके पीछे का प्रॉसेस मुझे फैसिनेट करता था। मेरे पिताजी हमेशा कहते थे- सिविल इंजीनियरिंग में कुछ नहीं है। तुम मेडिकल की तैयारी करो। उनके कहने पर मैंने इंजीनियरिंग और मेडिकल, दोनों के एंटरेंस टेस्ट दिए और क्वालिफाई किया। जब बारी दोनों में से एक चूज करने की आई तो मैंने अपने पैशन को चुना।"


- "मैं जब 11th में था, तब से ही अहमदाबाद की हर मशहूर बिल्डिंग को एग्जामिन करता था। अगर कहीं कंस्ट्रक्शन चल रहा होता तो मैं मजदूरों से रेत-सीमेंट और ढांचे के बारे में डिस्कस करने लगता। वो मुझे डांट भी देते, लेकिन मैं फिर भी पीछे पड़ा रहता। मेरे शहर की ऐसी कोई बिल्डिंग नहीं, जिसमें मैं न गया हूं।"


- "मुझे प्रैक्टिकली काम सीखने की इतनी जल्दी थी कि इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर से ही क्लास खत्म कर मैं कंस्ट्रक्शन का काम सीखने जाता था। मैंने कई जगह फ्री में भी काम किया है। लेबर से लेकर सुपरवाइजर-इंजीनियर तक सभी की बात मानता था। मैंने बहुत सारी बातें अनपढ़ लेबरों से भी सीखी हैं, जो आज मेरे बिजनेस में काम आती हैं।"



 जाक्षय बताते हैं, "1990 में इंजिनियरिंग कंप्लीट होने के बाद मैंने एक बिल्डर के पास जॉब की। वो मुझे बहुत काम करवाता, लेकिन पेमेंट के वक्त गच्चा दे जाता। दो महीने के वर्क पर वो मुझे एक महीने की सैलरी देता था। मैंने कोई विरोध नहीं किया। मैं बस काम सीखना चाहता था।"


- "उसी दौर में मुझे एक बिल्डर मिला जो शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करता था। मुझे लगा मेरा भी पैसा यहां से दोगुना हो जाएगा। मैंने पापा से लेकर दादाजी तक से पैसे झूठ बोलकर उधार लिए और लगभग 50 हजार शेयर मार्केट में लगा दिए। अचानक मार्केट डाउन हो गया और मेरे 15 हजार रुपए डूब गए। मैं डर रहा था कि घर पर बताऊंगा तो सब गुस्सा करेंगे। मैंने हिम्मत करके दादाजी को बताया। मुझे लगा वो नाराज होंगे, लेकिन वो हंसने लगे और बोले- इससे तुझे बड़ी सीख मिली है। अपने फ्यूचर की प्लानिंग में इसे जरूर शामिल करना।"


 शेयर मार्केट में नुकसान के बाद जाक्षय ने एक 1000 रुपए महीने की नौकरी शुरू की। लेकिन उसमें उनका मन नहीं लगा। वो खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते थे।


- उन्होंने बताया, "मेरे बिजनेस शुरू करने के सपने में दादाजी का बड़ा हाथ रहा। उन्होंने ही भरोसा करके मुझे दो लाख रुपए दिए थे। उन पैसों से मैंने 20 लाख रुपए की जमीन बिल्डर एग्रीमेंट पर ली और उस पर डेवलपमेंट का काम शुरू किया।"


- "उस जमीन को लोग लेने से घबराते थे। कुछ दबंगों ने उस पर कब्जा कर रखा था। मैं उस एरिया में 1 महीने रहा और सारी प्रॉब्लम्स को दूर किया। मेरी ईमानदारी और पेपर वर्क लोगों को पसंद आया। पहला प्रोजेक्ट सक्सेसफुल होने के बाद ढेर सारे काम मिलने लगे।"


- पहले प्रोजेक्ट के वक्त जाक्षय की ऑफिस साइट एक पेड़ के नीचे 3 कुर्सी और 1 टेबल थी। ठंडे पाने के लिए एक घड़ा साथ होता था। आज वे सैवी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के मालिक हैं जिसका ईयरली टर्न ओवर 300 करोड़ रुपए है।