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पेशाब में भीगा कपड़ा मुंह पर बांधते थे सैनिक, ये थी वजह



धरती के सीने को चीर कर रख देने वाला युद्ध था प्रथम विश्व युद्ध  इसकी शुरुआत २८, जुलाई १९१४, को ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ हुई थी. ये युद्ध चार सालों (१९१४,1918) तक चला, जिसमें ३०, से ज्यादा देशों ने भाग लिया.


फर्स्ट वर्ल्ड वॉर की वजह Austria के राजकुमार की बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में हत्या थी.

युद्ध के दौरान कुत्तों को दूत के रूप में प्रयोग किया जाता था, जो उनके शरीर से जुड़े कैप्सूल के जरिये आदेशों को आदान- प्रदान किया करते थे.


प्रथम विश्व युद्ध में 30 देशों के ६.५, करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से १, करोड़ लोग मारे गये थे. इसमें से मित्र राष्ट्रों ने ६०,लाख सैनिक और धुरी राष्ट्रों ने ४०, लाख सैनिक खोए थे.

युद्ध के बाद जर्मनी में पुरुषों की संख्या इतनी कम हो गयी थी कि हर तीन औरतो में से एक को ही पति मिल पाता था.


इस युद्ध में हर ३, लोगों में २, लोग मारे गये थे. इससे से अधिकतर मौतें बीमारी की वजह से हुई थी.


प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जिस बीमारी से मौतें हुई थी उसका नाम है स्पेनिश फ्लू. कुल सैनिक मौतों से एक तिहाई स्पेनिश फ्लू के कारण हुई थी. संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रथम बिश्व युद्ध का कुल खर्चा ३०, बिलियन डॉलर से भी ज्यादा था.


युद्ध के दौरान लगभग ३०, अलग अलग तरह की जहरीली गैस छोड़ी गयी थी. सैनिक आपातकालीन स्थिति में अपने मुंह पर मूत्र का भीगा हुआ कपड़ा बांधते थे. साल १९१८, में सुरक्षा के लिए गैस मास्क का वितरण सैनिको को किया गया था.

फर्स्ट वर्ल्ड वार के बाद हजारों सैनिक क्षतिग्रस्त और अपंग हो गये थे और कुछ का तो पूरा जीवन हॉस्पिटल में बीता.


प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लगभग ३०, अलग अलग तरह की जहरीली गैस छोड़ी गयी थी. सैनिक आपातकालीन स्थिति में अपने मुंह पर मूत्र का भीगा हुआ कपड़ा बांधते थे. साल १९१८, में सैनिकों को गैस मास्क का वितरण किया गया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम विश्व युद्ध में  कुल ८, लाख भारतीय सैनिक इस युद्ध में लड़े जिसमें कुल ४७७४६, हजार सैनिक मारे गये और ६५०००, हजार जख्मी हुए. इस युद्ध के कारण भारत की अर्थव्यवस्था लगभग दिवालिया हो गयी थी.