जब ढलने लगा संजय दत्त का करियर, तो ऐसे मिला था बहनोई का सहारा!
'लव स्टोरी' (1981), 'तेरी कसम'(1982) और 'नाम' (1986) जैसी फिल्मों के एक्टर कुमार गौरव 57 साल के हो गए हैं। 11 जुलाई 1960 को लखनऊ, उ. प्र. में एक्टर राजेंद्र कुमार के घर जन्में गौरव संजय दत्त के जीजा हैं। 80 के दशक में जब ड्रग्स के चंगुल में फंसे संजय का करियर ढलान पर आया, तब गौरव ने ही उन्हें सहारा देने के लिए फिल्म 'नाम' प्रोड्यूस की थी
संजय दत्त ने फिल्म 'रेशमा और शेरा' से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर उनके पिता सुनील दत्त थे।
- इसके करीब 10 साल बाद लीड एक्टर के तौर पर संजय की फिल्म 'रॉकी' हुई, जिसके डायरेक्टर भी सुनील दत्त थे। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई। लेकिन इसके बाद संजय को ड्रग्स की लत लग गई और पांच साल तक उनकी फ़िल्में लगातार फ्लॉप होती रहीं।
- ऐसे वक्त में उनके खास दोस्त से बहनोई बने कुमार गौरव न केवल उनके साथ खड़े रहे, बल्कि उन्हें बुरे दौर से निकालने में भी उनकी अहम भूमिका रही।
राजेंद्र कुमार नहीं चाहते थे गौरव 'नाम' को प्रोड्यूस करें
- दो सौतेले भाइयों रवि (कुमार गौरव) और विक्की (संजय दत्त) की कहानी को पर्दे पर दिखाने का आइडिया महेश भट्ट का था। इसी दौरान कुमार गौरव ने फैसला लिया कि इस फिल्म 'नाम' को वे प्रोड्यूस करेंगे।
- लेकिन गौरव के पापा यानी राजेंद्र कुमार इस बात से कन्विंस नहीं थे कि वे दो हीरो वाले प्रोजेक्ट को प्रोड्यूस करें। वे जानते थे कि ऑडियंस की सिम्पैथी कुमार गौरव से हटकर संजय दत्त पर चली जाएगी। लेकिन गौरव नहीं मानें और वे इसे प्रोड्यूस करने की जिद पर अड़े रहे। यह बात महेश भट्ट ने एक इंटरव्यू में बताई थी।
- बता दें कि इससे दो साल पहले ही कुमार गौरव ने संजय दत्त की बहन नम्रिता से शादी की थी।
संजय दत्त का डेडिकेशन देख हैरान थे भट्ट
- महेश भट्ट ने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैंने इससे पहले संजू का ऐसा डेडिकेशन नहीं देखा था। अपने स्टनिंग परफ़ॉर्मेंस से उसने लोगों के दिलों को जीत लिया। इसके बाद हम लाइफटाइम के लिए दोस्त बन गए।"

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