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बिल्ली-बंदर की दोस्ती बनी मिसाल, यूं आए करीब मां से बिछुड़ने के बाद


बंदर और बिल्ली कभी एक-दूसरे के पास नहीं फटकते, लेकिन जोधपुर में इन दोनों की दोस्ती आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। जोधपुर के रेस्क्यू सेंटर में लाए गए बिन मां के बंदर और बिल्ली के बच्चों में ऐसी दोस्ती हुई कि अब दोनों एक-दूसरे के बगैर एक पल भी नहीं रहते। तीन माह का यह बंदर अपनी हम उम्र बिल्ली को बोतल से दूध पिलाता है, तो कभी बिल्ली उसके ऊपर बैठी रहती है।

 उम्मेद उद्यान स्थित रेस्क्यू सेंटर में तीन महीने पहले वन विभाग के कर्मचारी एक बंदर के बच्चे को लेकर आए। इसकी मां की करंट लगने से मौत हो गई थी।
- इसके अगले दिन ही रेस्क्यू सेंटर में कोई व्यक्ति बिल्ली के दो बच्चे यह कह छोड़ गया कि इनकी मां की मौत हो चुकी है और कोई अन्य जानवर इनको मार देगा। इन दो बच्चों में से एक की अगले दिन ही मौत हो गई।
- रेस्क्यू सेंटर प्रभारी डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ ने बताया कि दोनों नवजात को पालने की चुनौती थी। पहले तो दोनों बच्चों को अलग-अलग रख उनकी देखभाल शुरू की गई, लेकिन दिनभर अकेले बैठे ये दोनों नवजात उदास और सुस्त रहने लगे।
- इनकी उदासी दूर करने के लिए दोनों को एक साथ रखना शुरू कर दिया। दो दिन में ही दोनों के बीच दोस्ती परवान चढ़ने लग गई। फिर इनको एक पिंजरे में डाल दिया गया।
- अब ये दोनों एक ही पिंजरे में बड़े आराम से रहते है। अलग करने पर दोनों चिल्लाने लगते है। दोनों को बोतल से दूध पिलाया जाता है। अब बंदर केयर टेकर के हाथ से बोतल लेकर पहले बिल्ली को दूध पिलाता है। उसके बाद खुद पीता है।
- पिंजरे के बाहर निकालते ही दोनों रेस्क्यू सेंटर में जमकर उछलकूद मचाते है और वहां मौजूद हिरणों के खेलते रहते है। थोड़ी देर बाद दोनों स्वत: ही अपने पिंजरे में चले जाते है।
- डॉ. राठौड़ का कहना है कि अमूमन बंदर और बिल्ली के बीच दोस्ती नहीं होती है, लेकिन बचपन से साथ रहने के कारण यहां इनमें दोस्ती हो गई।
- दोनों के थोड़ा बड़ा हो जाने के बाज जंगल में छोड़ दिया जाएगा। डॉ. राठौड़ ने बताया कि दोनों की दोस्ती बरकरार रहे इसे ध्यान में रख इन्हें किसी ऐसे स्थान पर चोड़ा जाएगा जहां ये दोनों आराम से एक साथ रह सके।