5 महीने पहले समुद्र में खो गई थी दो लेडी, अचानक मिली तो सुनाई ये कहानी
दो महिलाएं 5 महीने पहले अपने आइलैंड के पास बोट से घूमने निकली। 5 महीने बाद उन्हें जापान से 900 मील की दूरी पर चमत्कारिक तरीके से खोज लिया गया। इस दौरान उनकी बोट पर खतरनाक शार्कों के झुंड ने भी अटैक किया था। बाद में उन्होंने इस स्टोरी को शेयर भी किया।
पांच महीने से क्षतिग्रस्त जहाज पर समुद्र में भटक रहीं दो महिलाओं को जापान के प्रशांत सागर क्षेत्र सेे अमेरिकी नौसेना ने बचा लिया। महिलाओं के अलावा उनके दोनों कुत्ते भी रेस्क्यू कर लिए गए हैं। बीते 3 मई को हवाई से जेनिफर एपेल और ताषा फुएवा अपने जहाज से 4,163 किलोमीटर दूर ताहिती के लिए रवाना हुई थीं। 30 मई को मौसम खराब बेहद खराब होने के बाद जहाज के इंजन ने काम करना बंद कर दिया। तब उन्होंने नौकायन जारी रखा। आगे बढ़ने के दौरान वे भटक गईं।
संचार नेटवर्क ठप पड़ चुका था
उनका जहाज क्षतिग्रस्त होकर असंतुलित हो चुका था। वे किसी को फोन कर मदद मांग पाती, इससे पहले ही जहाज का संचार नेटवर्क फेल हो गया। फोन भी नहींं कर पा रही थीं, क्योंकि संचार नेटवर्क ठप पड़ चुका था। दो महीने बाद जब जेनिफर और ताषा ताहिती नहीं पहुंची, तब उन्हें अहसास हुआ कि वे भटककर कहीं और पहुंच गई हैं। इसके बाद उन्होंने मदद के लिए अन्य तरीकों से संकेत भेेजने शुरू कर दिए। पर नेवी से संपर्क नहीं हुआ। दोनों ने होनोलुलु में नेवी से संपर्क साधने की कोशिश की। कई संकेत भेजे पर नाव नेटवर्क से बेहद दूर होने से कोई नेवी का उनसे संपर्क नहीं हो सका। ताषा ने बताया, हमें कहीं मदद नहीं मिल पा रही थी। हम दोनों और हमारे कुत्तों के अलावा हमारी आवाज सुनने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं था।
एपेल ने बताया कि जहाज में सफर पर बढ़ने से पहले खाने के लिए आमलेट, पास्ता और चावल से बने सामान लेकर चले थे। एक वाटर प्यूरीफायर भी था जिससे साफ पानी के लिए नहीं जूझना पड़ा। दोनों कुत्ते हमारे बच्चे की तरह हैं। दोनों एक-एक बार शार्क के हमले का शिकार होते-होते बचे। हमने किसी तरह उन्हें बचाया। भटकते हुए 98 दिन बीतने के बाद नेवी को हमारे मुश्किल में फंसे होने का संकेत मिल गया। तब नौसेना के जवान हमें तलाश करते हुए जापान से 1448 किलोमीटर दूर पहुंचे और उन्होंने हमें बचा लिया।
जेनिफर-ताषा ने रेस्क्यू किए जाने के बाद कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि नेवी ने हमें बचा लिया। हम हताश और निराश हो चुके थे। लग रहा था कि एक या दो दिन में हमारी जान चली जाएगी। खाने-पीने का सामान पहले ही खत्म हो चुका था। हमारे दोनों कुत्तों का भी ऐसा ही हाल था। आज हम खुशी के इन पलों को बयां नहीं कर पा रहे हैं।

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