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पितृ पक्ष अमावस्या पूजा विधि: जानिए क्या है श्राद्ध विसर्जन करने का सबसे शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


पितृ पक्ष का अंत होने ही जा रहा है। पितृ पक्ष करीब 15 दिन चलता है और इस दौरान लोग अपने पितरों की शान्ति के लिए पिंड दान, तर्पण और उनके निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध को पूरी श्रदा से करते हैं।

भारतीय संस्कृति के अनुसार पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए अपने माता-पिता व परिवार के मृतकों के निमित्त श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। श्राद्ध कर्म को पितृ कर्म भी कहा जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करके उन्हें खुश किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

श्राद्ध की विधियों को पूरा करने के लिए पुजारी या पंडितों की सहायता ली जाती है। इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि किसी प्रकार से पितरों को नाराज ना किया जाए इससे पितरों का दोष लग सकता है। इससे घर में संतान का सुख, वंश वृद्धि, परिवार अस्थिरता, मानसिक तनाव आदि से गुजरना पड़ सकता है।

मत्स्यपुराण के अनुसार अगर पग-पग पर जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो इसका संकेत है कि आपके घर में पितृ दोष है यानि आपसे आपके पितृ अतृप्त हैं। श्राद्ध के दौरान अगर जरा-सी चूक हो जाए तो इन सब समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है। हमेशा अपने पितरों को खुश रखने के लिए श्राद्ध को विधिवत तरीके से पूर्ण करना चाहिए।

श्राद्ध करने की विधि

जिस तिथि को घर में श्राद्ध हो उस दिन प्रातः उठकर ही स्नान आदि कर लेना चाहिए। पितरों के लिए सुरव देव को जल अर्पण करें और रोजाना की पूजा-पाठ करके अपने रसोई घर को साफ करें और पितरो की पसंद के अनुसार भोजन बनाए। भोजन को एक थाली में रख कर पांच अलग-अलग पत्तलों में रखें। एक उपला यानि गाय के गोबर के कंडे को गर्म करके किसी पात्र में रख दें।

दक्षिण दिशा की तरह मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद अपने पितरों की तस्वीर को अपने सामने चौंकी पर स्थापित कर दें। श्राद्ध की पूजा में रोली और चावल का गलती से भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आप उसकी जगह चन्दन का इस्तेमाल कर सकते हैं। सफेद फूल और चन्दन का टीका उनके लगाएं। उनके समक्ष अगरबत्ती और घी का दीपक जालाएं।

श्राद्ध करने का मुहूर्त

याद रहे अधिक सुबह या अधिक दोपहर में श्राद्ध करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जब सूरज की रौशनी आपके पैरों को छूने लगे तब श्राद्ध का सबसे सही समय होता है। सुबह के 8 बजे से लेकर 11 बजे तक श्राद्ध कर लेना ही शुभ माना गया है। इसके बाद आप चाहे जितनी पूजा करें वो पितरों को नहीं लगती है।